ग्रीष्मकालीन जुताई: जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती की कुंजी

Written by Subhash Rajak

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लेखक: डॉ. अचिन कुमार एवं डॉ. राजीव पद्धषण (मृदा वैज्ञानिक)
नालंदा उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय

प्रिय अन्नदाता,

जब धरती तपती है और सूर्य अपनी प्रचंडता पर होता है, तब खेतों की नीरवता में छिपा होता है एक सुनहरा अवसर — भविष्य की समृद्ध फसल की तैयारी का। यही वह समय होता है जब ग्रीष्मकालीन जुताई — यानी गर्मियों में खेत की गहरी और सूखी जुताई — मिट्टी को न केवल पलटती है, बल्कि उसे एक नई जीवनदायिनी सांस देती है।

यह परंपरागत कृषि पद्धति आधुनिक चुनौतियों के बीच किसानों को बेहतर उत्पादन, कम लागत और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में मजबूत आधार प्रदान करती है।

किसानों के लिए ग्रीष्मकालीन जुताई के प्रमुख लाभ

  1. खरपतवार नियंत्रण
    गर्मियों में की गई जुताई से उगते खरपतवार और उनके बीज नष्ट हो जाते हैं, जिससे खरीफ फसल के दौरान खेत अपेक्षाकृत साफ रहता है।
  2. कीट व रोग नियंत्रण
    मिट्टी के पलटने से उसमें छिपे हानिकारक कीट व रोगाणु सूर्य की गर्मी से समाप्त हो जाते हैं, जिससे फसल स्वाभाविक रूप से सुरक्षित रहती है।
  3. मृदा उर्वरता में वृद्धि
    जुताई से मिट्टी में हवा का संचरण होता है, जिससे जैविक अवशेष जल्दी सड़ते हैं और पौधों के लिए पोषक तत्व में परिवर्तित होते हैं।
  4. जल संरक्षण
    गर्मियों की जुताई से भूमि भुरभुरी होती है, जिससे बारिश का पानी अधिक मात्रा में जमीन में समा पाता है, और भूजल स्तर में सुधार होता है।
  5. बेहतर अंकुरण व उत्पादन
    स्वच्छ, पोषक और सजीव मिट्टी बीजों को बेहतर अंकुरण का वातावरण देती है, जिससे उपज बढ़ती है।
  6. लागत में कमी
    प्रारंभिक स्तर पर खरपतवार व कीटों का नियंत्रण होने से रासायनिक दवाओं की आवश्यकता घटती है, जिससे उत्पादन लागत कम होती है।

पर्यावरण के लिए ग्रीष्मकालीन जुताई का योगदान

  1. भूमि क्षरण में कमी
    मिट्टी की संरचना मजबूत होने से वर्षा के दौरान कटाव व बहाव में कमी आती है।
  2. जलवायु अनुकूल तकनीक
    मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों का बेहतर विघटन और जल धारण क्षमता बढ़ने से यह प्रक्रिया जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करती है।
  3. जैव विविधता का संरक्षण
    रासायनिक उपयोग में कमी आने से लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि होती है, जो मृदा स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं।

ग्रीष्मकालीन जुताई एक सस्ती, सरल और प्रभावशाली कृषि तकनीक है जो किसानों की आमदनी बढ़ाने, भूमि की गुणवत्ता सुधारने और पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में सहायक है। यह परंपरा यदि हर किसान अपनाए, तो बदलते जलवायु में खेती टिकाऊ और लाभकारी बन सकती है।

“जब धरती को सांस लेने का अवसर मिलता है, तभी वह जीवन देने में सक्षम बनती है। ग्रीष्मकालीन जुताई, धरती की वही श्वास है।”

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