संजय कुमार
बिहारशरीफ(अपना नालंदा)।बिहारशरीफ के टाउन हॉल में सोमवार को कांग्रेस पार्टी के बैनर तले “अति पिछड़ा अधिकार सम्मेलन” का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य रोहिणी आयोग की सिफारिशों पर अमल की मांग और मूल अति पिछड़ा वर्ग की लगातार हो रही उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाना था।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक प्रतिनिधि, छात्र, महिला संगठनों के सदस्य और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग एकजुट हुए। सम्मेलन में वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि हर चुनाव से पहले अति पिछड़ा वर्ग को राजनीतिक दलों द्वारा बड़े-बड़े वादों के माध्यम से लुभाया जाता है, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही ये वादे केवल घोषणाओं और कागजों तक सिमटकर रह जाते हैं।
सम्मेलन के मुख्य मुद्दे:
रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग।
मूल अति पिछड़ा वर्ग को संविधानसम्मत अधिकार दिलाने की जोरदार अपील।
चुनाव पूर्व अति पिछड़ों को लुभाने और चुनाव के बाद उपेक्षा की राजनीति पर नाराजगी।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अति पिछड़ा समाज की निर्णायक भूमिका को लेकर रणनीति।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की नेत्री डॉ. आयशा फातिमा ने कहा,
“बिहार में महागठबंधन मतलब जनता की सरकार। हमें ऐसी सरकार चाहिए जो समाज के सभी वर्गों का ख्याल रखे। जब शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक न्याय की बात होगी, तभी बिहार एक मजबूत और विकसित राज्य बन सकेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि दलित, महादलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज अगर संगठित हो जाए तो कोई भी ताकत उन्हें उनके हक से वंचित नहीं रख सकती।
वहीं समाजसेवी यासिर इमाम और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल अकेला ने अपने संयुक्त संबोधन में कहा,
“जब तक हम सामाजिक रूप से संगठित नहीं होंगे, तब तक हमारे अधिकार केवल भाषणों में ही सीमित रहेंगे। अब समय आ गया है कि अति पिछड़ा वर्ग अपनी शक्ति को पहचाने और लोकतंत्र में निर्णायक भूमिका निभाए।”
सम्मेलन के संयोजक दिलीप मंडल ने जोर देते हुए कहा कि,
“अब सिर्फ नारों और वादों से नहीं, बल्कि ठोस योजनाओं, नीति-निर्धारण और संवैधानिक अधिकारों के आधार पर समाज का सशक्तिकरण होगा।”
इस मौके पर महागठबंधन से जुड़े कई वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद रहे और सभी ने एक स्वर में सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
यह सम्मेलन अति पिछड़ा समाज के राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों को लेकर एक सशक्त मंच बनकर उभरा, जिससे आगामी चुनावों में नई दिशा तय हो सकती है।