नमस्कार दोस्तों ! आज हम चर्चा करने जा रहे हैं जरासंध का बैठक के बारे में जिसे गिरियक स्तूप भी कहाँ जाता हैं| यह बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर के पहाड़ियों में स्थित एक एतिहासिक धरोहर हैं |
यह भारत के एतिहासिक स्थलों में से एक है यह न केवल अपने वास्तुकला और संगरचना के लिए प्रसिद्ध हैं बल्कि ये हमे हमारे अतीत के साथ जोड़ता हैं जिससे हमे प्राचीन काल के बारे में कई सारी जानकारियाँ मिलती हैं |
तो चलिए इस ब्लॉग को आगे बढ़ाते हैं और जरासंध के इतिहास, वास्तुकला और एतिहासिक महत्व को समझते हैं |
जरासंध कौन था ?
Contents
- 1 जरासंध कौन था ?
- 2 जरासंध का बैठक कहाँ स्थित हैं ?
- 3 जरासंध का बैठक का इतिहास
- 4 जरासंध का बैठक का एतिहासिक महत्व
- 5 जरासंध का बैठक की वास्तुकला
- 6 जरासंध का बैठक की वर्तमान स्थिति क्या हैं ?
- 7 जरासंध का बैठक के पास के पर्यटन स्थल
- 8 जरासंध का बैठक कैसे पहुंचे ?
- 9 जरासंध का बैठक की यात्रा करने का सर्वोत्तम समय
- 10 पर्यटकों के लिए सुझाव
- 11 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- 12 निष्कर्ष
जरासंध, मगध साम्राज्य का एक शक्तिशाली राजा था और महाभारत में एक विरोधी था | इनके पिता राजा बृहद्रथ थे | जरासंध के पास सबसे विशाल सेना थी और यह अत्यंत क्रोधी और अत्याचारी राजा था |
हरिवंश पुराण के अनुसार जरासंध ने कई राज्य के राजाओं को हरा कर अपने आधीन बना लिया था | जरासंध, भगवान श्री कृष्ण के मामा कसं के ससुर थे और वो श्री कृष्ण के शत्रु भी थे |
जरासंध की खास बात यह थी कि वो किसी भी युद्ध में मरता नहीं था | उसे मल्ल युद्ध का शौक था और उसके राज्य कई सारे अखाड़े थे |
जरासंध का वध करने के लिए श्री कृष्ण ने योजना बनाई जिसमे श्री कृष्ण, भीम और अर्जुन तीनों ब्राह्मण के रूप में जरासंध के पास गए और जरासंध को कुश्ती करने के लिए ललकारा |
जरासंध को यह बात समझ या गई थी की ये तीनों ब्राह्मण के भेस में कोई ओर है फिर भी जरासंध कुस्ती लड़ने के लिए तैयार हो गए | अखाड़े में जरासंध और भीम का युद्ध पूरे 18 दिन लगातार चला
और भीम ने जरासंध को जंघा से उखाड़कर कई बार दो टुकड़ों मे कर दिए किन्तु जरासंध का कुछ नहीं बिगड़ा और आखिर मे 19 वे दिन में श्री कृष्ण ने एक लकड़ी के तिनके को बीच से फाड़कर विपरीत दिशा में फेंक दिया
और ये बात भीम को समझ या गई तभी भीम ने जरासंध को दो टुकड़े मे फाड़कर विपरीत दिशा में फेंक दिया और इस प्रकार जरासंध का वध हुआ |
जरासंध का बैठक कहाँ स्थित हैं ?
जरासंध का बैठक, भारत के बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर के पहाड़ियों में स्थित हैं | यह बैठक गिरियक गाँव के सामने पंचाने नदी के पश्चिम किनारे पर स्थित हैं इसलिए इसे गिरियक स्तूप भी कहा जाता हैं |
जरासंध का बैठक का इतिहास
जरासंध का बैठक बिहार के राजगीर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसका संबंध महाभारत काल से है। जरासंध, मगध के शक्तिशाली राजा थे और कंस के ससुर थे।
महाभारत के अनुसार, जरासंध ने 86 राजाओं को बंदी बना रखा था और उनकी बलि देने की योजना बनाई थी। भगवान श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन ने मिलकर जरासंध को पराजित करने की योजना बनाई।
भीम और जरासंध के बीच 18 दिनों तक युद्ध हुआ, जिसमें अंततः श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन योजना काम आई और भीम ने जरासंध का वध किया।
जरासंध का बैठक का एतिहासिक महत्व
जरासंध का बैठक एक महत्वपूर्ण एतिहासिक धरोहर हैं ये महाभारत के काल से जुड़ा हुआ है जो हमे अपने अतीत के साथ जोड़ता हैं और यह स्थल जरासंध की शक्ति और उसके प्रभाव का चिन्ह हैं |
जरासंध का बैठक एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं इतिहास में रुचि रखने वाले लोग यहाँ आ के इसके इतिहास को और गहराई से समझ सकते हैं |
जरासंध का बैठक की वास्तुकला
जरासंध की बैठक की वास्तुकला कुछ इस प्रकार से प्रतीत होता है जैसे यह बेलनाकार रूप में हैं और इसकी दीवारें ईटों से बनी हुई हैं | यह स्तूप की diameter लगभग 28 फीट की हैं और लगभग यह 21 फीट ऊंचा हैं |
यह स्तूप 14 फीट एक चौकोर नीव पर टीका हुआ हैं | जिस समय इस स्तूप का निर्माण पूरा हुआ तब इस स्तूप के ऊपरी हिस्से पर एक ठोस ईट का गुबन्द था
और इसे एक पत्थर की छतरी के साथ इसके ऊपर वाले के हिस्से को छत किया गया था और एस माना जाता है कि इसकी ऊंचाई लगभग 55 फीट था |
जरासंध का बैठक की वर्तमान स्थिति क्या हैं ?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने जरासंध का बैठक को संरक्षित करने के लिय कई वर्षों तक कार्य किया हैं | यह स्तूप बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी
इसलिए इस स्तूप को ईटों की परत से ढक दिया गया है और इस एतिहासिक स्थल को भविष्य में संरक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं |
जरासंध का बैठक के पास के पर्यटन स्थल
जरासंध का बैठक यदि आपने इस ऐतिहासिक धरोहर को घूमने का प्लैनिंग किया है तो बेशक आप इसके आस- पास के पर्यटक स्थल को भी घूमना पसंद करेंगे तो चलिये आपको इसके आस- पास के पर्यटन स्थल से रूबरू करवाते हैं |
राजगीर में कई सारी पर्यटन स्थल हैं जिसका का भ्रमण कर सकते हैं जैसे नालंदा विश्वविद्यालय, विश्व शांति स्तूप, राजगीर हॉट स्प्रिंग्स, घोड़ा कटोरा झील इत्यादि | यदि आपको इन जगहों को भी विस्तार से जानना है तो दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
जरासंध का बैठक कैसे पहुंचे ?
जरासंध का बैठक, बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर की पहाड़ियों में स्थित है | जिसके लिए आपको सबसे पहले नालंदा आना होगा जिसके लिए आप हवाईं मार्ग , ट्रेन या सड़क मार्ग का चयन कर सकते हैं |
- निकटतम हवाई अड्डा : जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा , पटना
- निकटतम रेल्वे स्टेशन : राजगीर रेल्वे स्टेशन
- निकटतम बस स्टेशन : राजगीर बस स्टेशन
जरासंध का बैठक की यात्रा करने का सर्वोत्तम समय
प्रिय पर्यटकों अगर आप जरासंध का बैठक की यात्रा करना चाहते है तो आपके लिए इस यात्रा का सर्वोत्तम समय ऑक्टोबर से मार्च के महीनों के बीच होगा क्योंकि इन महीनों में घूमने के लिए मौसम अनुकूल रहता हैं |
पर्यटकों के लिए सुझाव
आपकी यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए आपके लिए कुछ सुझाव निम्न हैं :
- आप एक गाइड किराये पर ले सकते है आगर आप इस जगह के इतिहास और इसके आसपास के क्षेत्र के बारे में गहराई से जानना चाहते है |
- अपनी समान की सुरक्षा स्वयं करे |
- अपना समय ले और इस एतिहासिक स्थल सहित अन्य स्थलों का भी भ्रमण करे |
- अपने साथ खाने पीने की चीजे रखे ताकि आप अपनी यात्रा के दौरान ऊर्जावान बने रहे |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जरासंध किस राज्य का राजा था ?
जरासंध मगध राज्य का राजा था |
जरासंध किसका पुत्र था ?
जरासंध राजा बृहद्रथ का पुत्र था |
जरासंध का बैठक कहाँ स्थित हैं ?
जरासंध का बैठक बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर के पहाड़ियों में स्थित हैं |
जरासंध कैसा राजा था ?
जरासंध अत्यंत क्रोधी और अत्याचारी राजा था |
जरासंध का श्री कृष्ण के साथ क्या संबंध था ?
जरासंध श्री कृष्ण को अपना शत्रु मानता था और वो महाभारत में एक विरोधी भी था |
निष्कर्ष
जरासंध का बैठक भारत की एतिहासिक धरोहर में से एक हैं और यह एक महत्वपूर्ण स्थान हैं | अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको यहाँ जरूर विज़िट करना चाहिए |
आशा करते हैं आपको ये ब्लॉग पसंद आया होगा और आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्न हो या आप हमे कुछ बताना चाहते हैं तो आप हमारे कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं |
धन्यवाद
आपका दिन शुभ हो !