बिहारशरीफ। नालंदा के चाइनीज़ बुद्ध नालंदा विहार के विहाराधिपति भिक्खु डॉ. धम्मरत्न को म्यांमार सरकार ने अपने गणतंत्र दिवस (4 जनवरी) पर देश के सर्वोच्च धार्मिक पुरस्कार ‘सद्धम्मजोतिकाधज’ से सम्मानित करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार म्यांमार सरकार के धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय द्वारा उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने बुद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
भिक्खु (डॉ.) धम्मरत्न न केवल चाइनीज़ बुद्ध नालंदा विहार के अधिपति हैं, बल्कि वे नालंदा फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षा और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। उन्होंने नव नालंदा महाविहार के तिब्बती विभाग से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवा और समर्पण ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है।
धम्मरत्न का प्रेरणादायक योगदान
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डॉ. धम्मरत्न अपनी करुणामयी और सरल व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि शिक्षा और बौद्ध धर्म के प्रचार में भी उनका विशेष योगदान है। उनका मानना है कि धर्म का वास्तविक उद्देश्य मानवता की सेवा और समाज को नैतिकता और करुणा के पथ पर अग्रसर करना है।
नालंदा क्षेत्र में उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षिक गतिविधियों का संचालन हुआ है। नालंदा फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षा के नए अवसर प्रदान किए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने स्थानीय समुदाय को बौद्ध धर्म और इसकी शिक्षाओं से जोड़ने का प्रयास किया है।
म्यांमार सरकार का सर्वोच्च सम्मान
‘सद्धम्मजोतिकाधज’ पुरस्कार म्यांमार सरकार द्वारा बौद्ध धर्म के उत्थान और वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देने वालों को दिया जाता है। इस पुरस्कार के लिए चयनित होना न केवल डॉ. धम्मरत्न के लिए, बल्कि नालंदा और पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नालंदा की प्रतिष्ठा को और मजबूत करता है।
पुरस्कार की घोषणा के बाद नालंदा और आसपास के क्षेत्रों में हर्ष का माहौल है। स्थानीय लोगों और भिक्षुओं ने इसे नालंदा के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
डॉ. धम्मरत्न का संदेश
इस सम्मान पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. धम्मरत्न ने कहा, “यह पुरस्कार मेरे द्वारा किए गए कार्यों को मान्यता देने के साथ-साथ मुझ पर और अधिक जिम्मेदारी भी डालता है। यह मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है और मैं धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में और भी जोश के साथ काम करूंगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं न केवल व्यक्तिगत उत्थान बल्कि समाज को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने का मार्ग दिखाती हैं।
नालंदा की वैश्विक पहचान को बढ़ावा
डॉ. धम्मरत्न के इस सम्मान से नालंदा क्षेत्र ने वैश्विक स्तर पर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को और सुदृढ़ किया है। नालंदा, जो प्राचीन काल से शिक्षा और धर्म का केंद्र रहा है, अब आधुनिक युग में भी अपने योगदान के लिए पहचाना जा रहा है।
उनकी इस उपलब्धि से न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि धर्म और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए जा सकते हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
डॉ. धम्मरत्न के इस सम्मान से स्थानीय समुदाय में खुशी की लहर है। लोग इसे नालंदा की समृद्ध बौद्ध परंपरा और इतिहास का पुनर्जागरण मानते हैं। उनकी सेवा और उपलब्धियों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कई लोगों ने उनके इस योगदान को प्रेरणादायक बताया।
यह सम्मान न केवल नालंदा क्षेत्र, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है। डॉ. धम्मरत्न के प्रयास और योगदान से बौद्ध धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हुए हैं। उनका यह पुरस्कार आने वाली पीढ़ियों को धर्म, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में प्रेरित करेगा।