हरिओम कुमार
हरनौत(अपना नालंदा)।नगर पंचायत हरनौत क्षेत्र के जोरारपुर गांव में नदी किनारे और सड़क के पास कचरा डंपिंग से परेशान सैकड़ों ग्रामीणों ने मंगलवार को अंचलाधिकारी (सीओ) सोनू कुमार को आवेदन सौंपकर तत्काल कचरा हटवाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि नगर पंचायत द्वारा बिना किसी प्रक्रिया के सड़क और नदी के बीच लगातार कचरा फेंका जा रहा है, जिससे क्षेत्र का जल, जमीन और पर्यावरण बुरी तरह प्रदूषित हो रहा है। इस समस्या से जोरारपुर, किचनी, महेशपुर, दैली, बेलदारी, मुशहरी और बिरमपुर सहित छह गांवों के हजारों लोग प्रभावित हैं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बाजार क्षेत्र में मौजूद लगभग 30 निजी नर्सिंग होम्स का अस्पताल वेस्ट (बायो मेडिकल वेस्ट) भी यहां खुले में फेंका जा रहा है। प्रतिदिन करीब 200 किलोग्राम अस्पताल कचरा जिसमें ऑपरेशन के दौरान निकले बेकार अंग (जैसे बच्चादानी, अपेंडिक्स), खून, कॉटन, जाँच के दौरान निकला वेस्ट, प्लास्टर वेस्ट, सिरिंज, सलाइन सेट आदि शामिल हैं, यहां डंप किया जा रहा है। इसके अलावा मृत पशु भी इसी जगह फेंके जा रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस कचरे से उठने वाली दुर्गंध के कारण राहगीरों, स्थानीय निवासियों और किसानों को भारी परेशानी हो रही है। बदबू के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है और पैदल चलना भी दूभर हो गया है। नदी में गिरने वाला कचरा एवं मल-मूत्र का पानी पूरे जल स्रोत को प्रदूषित कर रहा है, जिससे जानवरों और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यही पानी आगे गांवों तक पहुंच रहा है, जिससे भू-जल भी दूषित हो रहा है।
स्थिति यह हो गई है कि कचरे के ढेर के कारण सड़क लगभग बंद हो गई है। स्कूल वाहनों का वहां से गुजरना कठिन हो गया है, जिससे छोटे-छोटे बच्चों को भारी असुविधा हो रही है। साथ ही बाइक सवारों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। कचरे के ढेर में मृत पशु पड़े होने के कारण बड़ी संख्या में आवारा कुत्ते और सियार इकट्ठा हो गए हैं, जो राहगीरों को दौड़ाते हैं और काटने का खतरा भी बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस स्थान पर पहले छठ पूजा का आयोजन होता था, लेकिन अब कचरे के कारण धार्मिक कार्यक्रम भी बंद हो गए हैं। ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर डीएम, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक को मेल और पत्र के माध्यम से त्राहिमाम संदेश भेजा है। उन्होंने प्रशासन से इस कचरे को अविलंब हटाने की मांग की है।
उधर, अंचलाधिकारी सोनू कुमार ने बताया कि ग्रामीणों का आवेदन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि बिना प्रोसेस किए हुए कचरे को नदी के किनारे फेंकना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि जन स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थल निरीक्षण कर जल्द ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।