संविधान विरोधी वक्फ संशोधन कानून की वापसी तक जारी रहेगा संघर्ष : सुरेंद्र राम

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ । वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर भाकपा-माले के बैनर तले शनिवार को बिहारशरीफ में जोरदार विरोध मार्च निकाला गया। यह मार्च कमरुद्दीनगंज स्थित माले जिला कार्यालय से निकला, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। मार्च की अगुवाई माले नेता सुरेंद्र राम ने की। उन्होंने कहा कि यह कानून न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है, बल्कि संविधान की भावना के भी खिलाफ है। इसे हर हाल में वापस लेना होगा।

सुरेंद्र राम ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या हुई, जिसमें नेपाल के पर्यटक और स्थानीय घोड़ा चालक भी शामिल हैं। यह घटना सुरक्षा व्यवस्था की भारी चूक को उजागर करती है। उन्होंने केंद्र सरकार, विशेषकर गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से इस्तीफे की मांग की।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब हर आतंकी घटना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री से जवाब मांगते थे। अब जब जम्मू-कश्मीर सीधे केंद्र के अधीन है, तो जवाबदेही भी केंद्र की ही बनती है।

मार्च में इंसाफ मंच नालंदा के संयोजक व अधिवक्ता सरफराज अहमद खान ने वक्फ कानून को मुस्लिम मामलों में जबरन हस्तक्षेप बताया और इसे असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक स्वायत्तता को खत्म करने की साजिश है।

इस अवसर पर इंडियन नेशनल लीग के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल ज़फ़र, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता जाहिद अंसारी, इंसाफ मंच के उपाध्यक्ष नसीरुद्दीन, माले नेता पाल बिहारी लाल, अरुण यादव, सुनील कुमार, मकसूदन शर्मा, अधिवक्ता अनिल पटेल, प्रमोद यादव, ऐपवा जिलाध्यक्ष गिरिजा देवी, रेणु देवी, सुलताना प्रवीण, यासमीन प्रवीण, निरंजन भारती, शिवशंकर प्रसाद, रामधारी दास, रामप्रीत केवट, फैसल असमानी, मो. फसीह, मो. फैजात, मो. जहूर, मो. कमालुद्दीन, कामरेड प्रमोद, बीरेश, बाढ़न, राजेश, शत्रुधन आदि शामिल थे।

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