विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी से मरीज हो रहे परेशान, स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने की नियमित उपाधीक्षक की मांग
अपना नालंदा संवाददाता
राजगीर।राजगीर का अनुमंडलीय अस्पताल बीते 32 वर्षों से प्रभारी उपाधीक्षक (डीएस) के भरोसे चल रहा है। वर्ष 1992 में इस अस्पताल को रेफरल से अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा मिला था, लेकिन तीन दशकों बाद भी यहां स्थायी और पूर्णकालिक उपाधीक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इस लापरवाही का सीधा असर अस्पताल के संचालन, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और चिकित्सा संसाधनों की उपलब्धता पर पड़ रहा है।
अस्पताल में पूर्णकालिक डीएस नहीं होने से प्रशासनिक निर्णयों में देरी होती है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज और सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। प्रभारी उपाधीक्षक को सीमित अधिकार प्राप्त होते हैं, जिनमें डीडीओ (निकासी और व्ययन) की शक्तियां भी शामिल नहीं होती। इस कारण दवाओं की आपूर्ति, साफ-सफाई, आपातकालीन सेवाओं की निगरानी और चिकित्सकों की उपस्थिति जैसे मामलों में तत्काल निर्णय लेने में अड़चन आती है।
स्थानीय बुद्धिजीवियों और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, खासकर तब जब राजगीर एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार के कई संस्थानों का केंद्र भी है। यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक और विद्यार्थी आते हैं, ऐसे में एक सुव्यवस्थित और आधुनिक अस्पताल की आवश्यकता अत्यंत जरूरी है।

स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग
प्रखंड उप प्रमुख सुधीर कुमार पटेल, वार्ड पार्षद अनिल कुमार, महेन्द्र यादव, अनीता गहलौत समेत कई जनप्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) से शीघ्र पूर्णकालिक उपाधीक्षक की नियुक्ति की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसा होने से अस्पताल प्रबंधन बेहतर होगा और आमजन को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सकेगा।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी, मरीजों को करना पड़ रहा रेफर
राजगीर के अनुमंडलीय अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी भी गंभीर समस्या बन चुकी है। हृदय रोग, श्वसन रोग, न्यूरोलॉजी, नेत्र, हड्डी रोग, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति न होने से मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अक्सर पटना या पावापुरी स्थित विम्स अस्पताल रेफर करना पड़ता है। इससे न केवल मरीज की जान खतरे में पड़ती है, बल्कि दूरदराज से आने वाले गरीब मरीजों के लिए यह आर्थिक और मानसिक बोझ बन जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि राजगीर जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले शहर में एक पूर्ण रूप से सुसज्जित, विशेषज्ञ डॉक्टरों से युक्त अस्पताल की सख्त आवश्यकता है। वर्तमान स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आम नागरिकों और पर्यटकों – दोनों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
राजगीर का अनुमंडलीय अस्पताल तीन दशक से केवल “प्रभारी” व्यवस्था पर निर्भर है, जो अपने आप में स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। राज्य सरकार को इस दिशा में अविलंब कदम उठाते हुए अस्पताल को पूर्णकालिक उपाधीक्षक और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधा से सुसज्जित करना चाहिए, ताकि यह ऐतिहासिक नगरी अपने नागरिकों और पर्यटकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दे सके।