अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ।अब पत्रकारिता भी उतनी ही सच्ची और ईमानदार होगी, जितनी एक किसान की खेती। अब हर किसान अपनी और अपने गांव की कहानी खुद लिखेगा। किसान पत्रकारिता के इस नए युग में खेत बोलेगा और किसान खुद बनेगा अपनी पंचायत और प्रखंड की आवाज़।
इस नई पहल की जानकारी नालंदा जिला के किसान पत्रकार वीर अभिमन्यु सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि यदि कोई किसान अपने या अपने गांव, पंचायत एवं प्रखंड स्तर के किसानों की समस्याओं को उजागर करना चाहता है, तो वह आज ही किसान पत्रकार बन सकता है। यह अभियान “कृषि जागरण” के माध्यम से चलाया जा रहा है, जिसे एग्रीकल्चर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा संचालित किया जाता है।
शुक्रवार की रात एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता एम. सी. डोमेनिक ने की। इस मीटिंग में किसानों को कृषि से लाभ कैसे प्राप्त हो, नवीनतम तकनीक उन तक कैसे पहुंचे, उनकी आमदनी कैसे बढ़े और लागत कैसे घटे — जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गंभीर चर्चा की गई।
श्री सिंह ने बताया कि यह मंच न केवल किसानों की आवाज़ सरकार तक पहुंचाने में सहायक है, बल्कि किसानों द्वारा किए गए नए प्रयोगों और सफलताओं को भी देशभर के अन्य किसानों तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा। इस दिशा में एक अनूठी पहल के रूप में “फार्मर दी जर्नलिस्ट” कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। यह मुहिम किसानों की बात को किसानों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई है।
कृषि जागरण जहां पिछले कई दशकों से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसानों के हित में कार्य कर रहा है, वहीं अब किसान पत्रकारों को संगठित एवं संरक्षित करने के लिए एग्रीकल्चर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया का गठन किया गया है।
परिचर्चा में कई सुझाव आए, जिन पर गंभीरता से विचार किया गया और भविष्य में उन पर कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया गया। साथ ही, एग्रीकल्चर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सदस्यता अभियान को तेज करने का भी संकल्प लिया गया।