नमस्कार दोस्तों आज हमलोग जानेंगे नालंदा बड़गाँव का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व, आपको जानकर हैरानी होगी की बिहार का एक ऐसा गाँव जो सिर्फ बिहार में नहीं पूरे भारत तथा विश्व में चर्चाओं का विषय बनता है, जी हाँ हम बात कर रहे हैं नालंदा बड़गाँव के बारे में |
दोस्तों कभी न कभी आपके मन में भी आया होगा की आखिर ये छठ पूजा का शुरुवात कहाँ से हुई ? किसने सबसे पहले छठ पूजा किया? आखिर कैसे शुरू हुआ परंपरा ? आदि |
तो चलिये लेख को आगे बढ़ाते हैं और आपको सारी जानकारी देते हैं उससे पहले आपको बता दें की नालंदा में स्थित बड़गाँव, बिहार का एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है।
यह स्थान वैदिक काल से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र रहा है और यहाँ का सूर्य मंदिर दुनिया के 12 प्रमुख सूर्य पीठों में से एक है।
नालंदा बड़गाँव में स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास
Contents
दोस्तों जब भी बात आती है नालंदा बड़गाँव में स्थित सूर्य मंदिर की तो आपको बता दें बड़गांव का सूर्य मंदिर छठ पूजा के लिए बेहद प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि
यहाँ छठ करने से हर मुराद पूरी होती है, इसलिए देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु यहाँ चैत और कार्तिक माह में छठव्रत करने आते हैं।
यदि आप छठ महापर्व का जनसैलाब देखना चाहते हैं तो एकबार यहाँ जरूर विज़िट करें |
नालंदा बड़गाँव की क्या है पौराणिक कथा ?
नालंदा बड़गाँव की पौराणिक कथा के बारे में बात की जाए तो आपको बता दें की, यह गाँव सूर्य पुराण में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब ने यहाँ सूर्य की उपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी।
ऐसा कहा जाता है कि
महर्षि दुर्वासा के श्राप से पीड़ित राजा साम्ब ने यहाँ 49 दिनों तक रहकर सूर्य की उपासना की और यहाँ स्थित तालाब के पानी से स्नान किया, जिससे उनका रोग ठीक हो गया।
नालंदा बड़गाँव में स्थित तालाब का निर्माण किसने करवाया ?
नालंदा बड़गाँव में स्थित तालाब का निर्माण राजा साम्ब ने करवाया था | पहले वहाँ बस एक गड्ढा था और राजा साम्ब कुष्ठ रोग से पीड़ित थे लेकिन उस गड्ढे का पानी पीने से उनका रोग दूर हो गया था
इसलिए उन्होंने उस गड्ढे को एक तलाब में तब्दील करवाया आज भी लोग इस तालाब में स्नान कर सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति पाते हैं।
नालंदा बड़गाँव में स्थित मंदिर का पुनर्निर्माण
जब 1934 के भूकंप आया था तो नालंदा बड़गाँव में स्थित सूर्य मंदिर ध्वस्त हो गया था, लेकिन बाद में ग्रामीणों ने इसे पुनः विधि विधान से निर्माण कर सभी प्रतिमाओं को स्थापित किया।
तालाब की खुदाई के दौरान भगवान सूर्य, कल्प विष्णु, सरस्वती, लक्ष्मी और नवग्रह देवताओं की प्रतिमाएं मिलीं, जिन्हें मंदिर में स्थापित किया गया।
नालंदा बड़गाँव और छठ महापर्व
कार्तिक और चैत माह में बड़गाँव में लाखों श्रद्धालु छठव्रत करने आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा माना जाता है की छठ महापर्व की शुरुवात यहीं से हुई थी |
यहाँ छठ पर्व के दौरान बड़गाँव के लोग पवित्रता के प्रतीक के रूप में चार दिनों तक चप्पल नहीं पहनते हैं। तालाब के पानी से ही छठ का प्रसाद बनता है, और यह परंपरा आज भी जारी है।
Topic | Details |
Introduction of Nalanda Bargaon | Nalanda Bargaon is a famous historical and religious place in Bihar, known for its Surya Mandir. |
Surya Mandir Importance | यह मंदिर छठ पूजा के लिए प्रसिद्ध है, जहां लाखों श्रद्धालु कार्तिक और चैत में सूर्य की उपासना करने आते हैं। |
Legend of Raja Samba | King Samba worshipped Surya Dev here for 49 days and got relief from leprosy caused by Durvasa’s curse. |
History of the Pond | Pond was constructed by King Samba, whose water is believed to cure diseases. |
Reconstruction of the Temple | मंदिर को 1934 के भूकंप के बाद ग्रामीणों ने फिर से बनवाया और मूर्तियों को स्थापित किया। |
Chhath Puja at Bargaon | This is believed to be the origin place of Chhath Puja; devotees follow unique traditions here. |
Traditional Practices | तालाब के पानी से प्रसाद बनाना और चार दिनों तक चप्पल न पहनने की परंपरा। |
Why Visit Nalanda Bargaon | Experience spiritual peace, learn ancient traditions, and participate in Chhath Mahaparv. |
Significance for Pilgrims | छठ पूजा के दौरान यहाँ आने वाले भक्तों को अध्यात्मिक शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नालंदा बड़गाँव का धार्मिक महत्व क्या है?
नालंदा बड़गाँववैदिक काल से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र रहा है और यहाँ का सूर्य मंदिर 12 प्रमुख सूर्य पीठों में से एक है। यहाँ छठ पूजा करने से हर मुराद पूरी होती है।
नालंदा बड़गाँव का सूर्य मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
नालंदा बड़गाँव का सूर्य मंदिर छठ महापर्व के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ लाखों श्रद्धालु चैत और कार्तिक माह में सूर्य देव की उपासना करने आते हैं।
राजा साम्ब से जुड़ी कथा क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि दुर्वासा के श्राप से पीड़ित राजा साम्ब ने बड़गांव में 49 दिनों तक सूर्य की उपासना कर कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी।
नालंदा बड़गाँव के तालाब का क्या महत्व है?
राजा साम्ब ने बड़गाँव में तालाब का निर्माण कराया, जिसका पानी पीकर उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। आज भी लोग इस तालाब में स्नान कर रोगों से मुक्ति पाते हैं।
नालंदा बड़गाँव में छठ पूजा का क्या महत्व है?
बड़गाँव में छठ पूजा का विशेष महत्व है। यहाँ के तालाब के पानी से छठ का प्रसाद बनता है और यहाँ की परंपराएँ बहुत पुरानी और महत्वपूर्ण हैं।
नालंदा बड़गाँव के लोग छठ के दौरान चप्पल क्यों नहीं पहनते?
छठ के नहाय-खाय से दूसरी अर्घ्य तक बड़गाँव के लोग चप्पल नहीं पहनते ताकि व्रतियों को किसी तरह की असुविधा न हो और यह परंपरा उनके बुजुर्गों द्वारा शुरू की गई थी।
निष्कर्ष
नालंदा बड़गाँवका सूर्य मंदिर और तालाब धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के धरोहर हैं। यहाँ की परंपराएँ और त्यौहार इस स्थान की विशिष्ट पहचान बनाते हैं,
जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा तथा इस लेख से संबंधित आपके मन में कोई प्रश्न हो या आप हमें कुछ बताना चाहते हैं तो हमारे कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं |