प्राकृतिक खेती की ओर मोकिमपुर की छलांग: गुड़-गोबर-मट्ठा से बनी खाद से सजेगा अमरूद बाग”

Written by Subhash Rajak

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प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा, सेहतमंद फलों से संवरेंगे बागवानों के सपने

अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ । प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में चंडी प्रखंड के मोकिमपुर गांव में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। यहां किसान गौतम कुमार के खेत में गुड़, गोबर, मट्ठा, नीम की पत्तियों और अन्य जैविक सामग्री के मिश्रण से करीब 25 क्विंटल प्राकृतिक खाद तैयार की गई है। इसका निर्माण राजगीर-तिलैया की प्रज्ञा कृषक हित समूह की टीम द्वारा किया गया।

इस प्राकृतिक खाद का उपयोग 400 अमरूद के पौधों की रोपाई से पहले मिट्टी में मिलाकर किया जाएगा, जिससे फलों में अधिक मिठास, बेहतर स्वाद और पोषक तत्व बढ़ेंगे। यह खाद पूरी तरह से स्थानीय जैविक संसाधनों पर आधारित है और रासायनिक उर्वरकों का एक सशक्त विकल्प बन सकता है।

प्राकृतिक खाद के लाभ बताए समूह अध्यक्ष ने

समूह के अध्यक्ष सह प्रशिक्षक वीर अभिमन्यु सिंह ने बताया कि यह जैविक खाद एक तरह का स्वायल प्रोबायोटिक है, जो मिट्टी को जीवंत बनाता है। यह न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है बल्कि जल धारण क्षमता और वायु संचार में भी सुधार करता है। इसके प्रयोग से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों की तुलना में यह खाद अधिक टिकाऊ, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल है। इससे मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या भी बढ़ती है जो पौधों को रोगों और कीटों से बचाने में मदद करते हैं।

घर पर भी बना सकते हैं यह खाद: पम्मी कुमारी

गौतम कुमार की पत्नी पम्मी कुमारी ने कहा कि पहले वे जानवरों के गोबर को सीधे खेत में डालते थे, जिससे सीमित लाभ मिलता था। लेकिन अब जब गुड़ और मट्ठा जैसी चीजें मिलाकर खाद बनाई गई है, तो इसका असर बेहतर दिखेगा। इससे अमरूद में मिठास बढ़ेगी, फल का आकार बड़ा होगा और पोषण अधिक मिलेगा।

व्यावसायिक खेती की दिशा में पहला कदम

किसान गौतम कुमार ने बताया कि यह पहली बार है जब उन्होंने वीर अभिमन्यु सिंह के मार्गदर्शन में गुड़, गोबर और मट्ठा से जैविक खाद तैयार किया है। भविष्य में वे इसे व्यावसायिक रूप से अपनाने की योजना बना रहे हैं ताकि रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

कई जैविक पदार्थों का हुआ उपयोग

खाद निर्माण में सहजन, आक, पपीता, सिरिस, आंवला, कढ़ी पत्ता, नीम की पत्तियाँ और खल्ली, सरसों खल्ली, तीसी खल्ली, गाय का ताजा गोबर, गौमूत्र, चना बेसन और सड़े-गले आमों का उपयोग किया गया।

प्रशिक्षण में दर्जनों किसान हुए शामिल

इस अवसर पर कई महिला व पुरुष कृषकों को खाद बनाने की विधि का प्रशिक्षण भी दिया गया। मौके पर संतोष कुमार, मिथिलेश पंडित, सुलोचना देवी, कंचन देवी, रानी देवी, सोना देवी, संगीता देवी, उदय कुमार, टूनी पंडित, अवधेश सिंह, विनोद सिंह, मुकेश कुमार, सच्चिदानंद सिंह, राजीव रंजन सिंह, मनोज कुमार, सुरेंद्र पंडित, राजाराम जमादार सहित कई लोग उपस्थित थे।

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