हिलसा का सूर्य मंदिर और राजा साम्ब को कैसे मिला था श्राप से मुक्ति ! 

Written by Subhash Rajak

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नमस्कार दोस्तों !

आज हम चर्चा करने जा रहे है नालंदा जिले के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के बारे में जो हिलसा शहर में स्थित हैं | यह भव्य मंदिर सूर्य भगवान (भगवान भास्कर) का मंदिर है जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था की गोता लगाने आते हैं| 

इस भव्य मंदिर के साथ – साथ एक भव्य तालाब भी स्थित हैं जहां भक्त जन कई प्रकार के धार्मिक और सांकृतिक कार्यकर्म करते रहते हैं | 

तो चलिये हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर का एक विस्तृत जानकारी देते हैं और बताते हैं श्रद्धालु के साथ- साथ यह एक पर्यटक दृष्टि से कैसे महत्वपूर्ण है |

 हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास

Contents

हिलसा के सूर्य मंदिर का इतिहास बेहद रोचक और गौरवशाली है। योगीपुर रोड पर स्थित इस मंदिर की स्थापना एक प्राचीन कालखंड में हुई थी, 

जब राजा साम्ब ने भगवान श्रीकृष्ण के श्राप से मुक्ति पाने के लिए बड़गांव में सूर्य मंदिर की स्थापना की थी। उसी समय, हिलसा के तालाब किनारे भी इस सूर्य मंदिर की स्थापना हुई।

मंदिर के पुजारी अंजनी पांडेय बताते हैं

समय-समय पर विभिन्न राजाओं द्वारा इस मंदिर का नवनिर्माण और जीर्णोद्धार किया जाता रहा है।
90 के दशक में, वर्तमान सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार ई. हरिनंदन प्रसाद ने करवाया था, जिससे यह मंदिर और भी भव्य हो गया।

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी अहम हिस्सा है। 

यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक अलग ही शांति और आस्था की अनुभूति होती है। आज भी इस मंदिर की महिमा और महत्व बरकरार है, और यह हमारे इतिहास की एक अमूल्य धरोहर है।

क्या सूर्य मंदिर में अन्य देवी – देवतावों को भी स्थापित किया गया है ?

जी हाँ, इस प्राचीन सूर्य मंदिर के अलावा मंदिर परिसर में अन्य देवी – देवताओं के भी मंदिर स्थापित हैं | जहां  भगवान विश्वकर्म मंदिर , प्राचीन पीपल वृछ , नवग्रह मंदिर , 

शिव परिवार मंदिर, गौरीशंकर मंदिर , गायत्री अमन्दिर , संतोषी माता मंदिर बाबा बखतौर मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर स्थापित हैं |

हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर का महत्व  

हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर, धार्मिक , सामाजिक और संस्कृतिक महत्व रखता हैं | यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित हैं | 

यदि आपको मोका मिले तो छठ पर्व में यह मंदिर जरूर विज़िट करें क्योंकि यह मंदिर छठ पूजा के उत्सव के लिए प्रसिद्ध हैं, और सबसे खास बात, 

यहाँ साल में दो बार हिन्दू माह वेशाख और कार्तिकेय में छठ पूजा आयोजित की जाती हैं |

लोगों का मानना है

यहाँ सूर्य तालाब में स्नान करने और मंदिर में सूर्य भगवान की पूजा करने से रोग समेत कई असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं | 

एतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ – साथ प्रसिद्ध मान्यताओ के कारण यहाँ न केवल बिहार के कोने – कोने से बल्कि पूरे देश से लोग छठ पूजा मनाने आते हैं |

सूर्य मंदिर हिलसा की वास्तुकला

सूर्य मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय और आकर्षक हैं | मंदिर के निर्माण मे उपयोग की गई तकनीक और सामग्री इसे विशेष बनाती हैं | 

यदि आप अपना नजर दोड़ाएंगे तो आपको मंदिर का सबसे भीतरी हिस्सा देखने को मिलेगा जहां देवी व देवता की प्रतिमा रखी जाती है जिसे मंदिर का हृदयस्थान भी कहा जाता हैं | 

अगर आप ऊपर देखेंगे तो आपको मंदिर के टॉप के भाग  शिखर या विमान देखने को मिलेगा | मंदिर से चारों तरफ परिक्रमा के लिए भी स्थान होता हैं व मंदिर में और कोई कार्य के लिए भी स्थान बने रहता है |

हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर क्यों प्रसिद्ध हैं ?

सूर्य मंदिर हिलसा अपनी धार्मिक महत्व , एतिहासिक धरोहर और अपने सौन्दर्य के कारण प्रसिद्ध हैं | यहाँ पर होने वाले धार्मिक और संस्कृतिक आयोजनो मे श्रद्धालु  भाग लेते हैं | 

हर रविवार के दिन यहाँ श्रद्धालुओ की भीड़ रहती हैं क्योंकि सूर्य भगवान की विशेष पूजा हर रविवार के दिन होती हैं | इनकी पूजा भगवान  विष्णु के समान मानी  जाती हैं | 

हर रविवार को सूर्य देव को दूध अर्पण करने के लिए भक्त जनों की काफी भीड़ रहती हैं | भगवान सूर्य देव जी की बात की जाए तो भगवान सूर्य देव नवग्रह के प्रधान देवता हैं | 

अगहनी रविवार (मार्गशीर्ष मास) , में यहाँ काफी ज्यादा भीड़ होती है और इस  अगहनी रविवार से ही रविवार व्रत शुरू किया जाता है और इसकी पूर्णहुति वेशाख के महीने मे होती हैं | 

इस भव्य सूर्य मंदिर के पास एक तालाब भी हैं, जहां कई जिलों से हजारों व्रती यहाँ आते हैं और विधि स्वरूप पूजा अर्चना करते हैं | 

ऐसा माना जाता हैं

जो भी भक्त सच्चे मन से सूर्य भगवान की आराधना करते हैं, उनकी हर इच्छा पूर्ण होती हैं |

सूर्य मंदिर हिलसा में धार्मिक आयोजन

सूर्य मंदिर हिलसा छठ महापर्व के लिए प्रसिद्ध हैं | प्रति वर्ष छठ महापर्व शुरू होने के कुछ समय पहले से ही नगर प्रशासन के द्वारा घाट की साफ – सफाई और उनकी सजावट के लिए कार्य शुरू कर दिए जाते है , 

छठ घाट पर की गई सजावट सबके मन को आकर्षित कर देती हैं | छठ घाट पर श्रद्धालुओ के रहने के लिए उत्तम व्यवस्था की जाती है | 

बिजली , पेय जल और रंगबिरंगी रोशनी की तैयारी नगर प्रसासन द्वारा कर किया जाता है  | इसके  साथ – साथ श्रद्धालुओ की विशेष सुविधा का भी ख्याल रखा जाता है 

जैसे – मेडिकल कैम्प , शौचालय , स्नान घर इत्यादि की व्यवस्था की जाती हैं |

सूर्य मंदिर हिलसा की यात्रा करने के लिए सर्वोत्तम समय

सूर्य मंदिर हिलसा की यात्रा के लिए सर्वोत्तम समय छठ पर्व और मकर संक्रांति के दौरान होता हैं | इन दिनों यह पर कई विशेष धार्मिक आयोजन और संस्कृतिक कार्यक्रम होते है जिस वजह से श्रद्धालुओ की काफी भीड़ होती हैं |

हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे?

आपको हिलसा में स्थित सूर्य मंदिर पहुचने के लिए सबसे पहले नालंदा आना पड़ेगा | नालंदा के लिए आप सड़क मार्ग, ट्रेन से या फिर हवाई यात्रा भी कर सकते हैं 

लेकिन हवाई यात्रा के लिए नजदीकी हवाई अड्डा पटना में स्थित है जहां से आपको फिर से ट्रेन , बस या टैक्सी करना पड़ेगा | 

हिलसा , नालंदा जिले में स्थित है जो  नालंदा रेल्वे स्टेशन से 4 किलोमिटर की दूरी पर हैं | यहाँ बस और टैक्सी की सेवाए  भी उपलब्ध हैं |

भारत का सबसे बड़ा सूर्य मंदिर कौनसा  हैं?

कोणार्क सूर्य मंदिर , ओड़िशा |

बिहार का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौनसा  हैं ?

महाबोधि मंदिर , बोध गया |

सूर्य देव को जल कब अर्पित करना चाहिए ?

सुबह जल्दी  उठ कर ,सूर्य उदय होते समय |

नवग्रह के देवता कौन हैं ?

सूर्य देव

बिहार के मगध छेत्र में कितने सूर्य मंदिर स्थित हैं ?

9 सूर्य मंदिर

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से हमने सूर्य मंदिर के बारे मे जाना | तथा इस भव्य मंदिर की सुंदर्ता, वास्तुकला , इतिहास , धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यकर्म, पर चर्चा की | 

आशा करते है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा | इस लेख से संबंधित आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं या हमें कुछ बताना चाहते हैं तो हमारे कमेन्ट बॉक्स से जुड़ सकते हैं |

धन्यवाद

आपका दिन शुभ हो !

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