अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे काले अध्याय माने जाने वाले 25 जून 1975 को लागू आपातकाल के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) बिहारशरीफ इकाई के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को हॉस्पिटल मोड़ पर विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर और पोस्टरों के माध्यम से आपातकाल की विभीषिका को जनता के सामने रखा।
कार्यक्रम का नेतृत्व अभाविप नालंदा जिला संयोजक प्रतीक राज ने किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय गणराज्य पर सत्ता के अहंकार द्वारा थोपी गई तानाशाही के 21 काले महीने थे, जिसमें भारत का लोकतंत्र लगभग दम तोड़ रहा था। उस समय जब सच बोलना भी अपराध बन चुका था, तब अभाविप के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाने जैसे छोटे से कार्य के कारण जेलों को भरा, भूमिगत रहकर जन-जागरण किया और लोकतंत्र की लौ को बुझने नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि आज जब आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है, तब यह याद करना जरूरी है कि अभाविप का संघर्ष केवल सत्ता के विरुद्ध नहीं था, बल्कि भारत की आत्मा, संविधान की गरिमा और युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए था। उन्होंने कहा कि वर्तमान युवा पीढ़ी को यह संकल्प लेना होगा कि भारत किसी भी रूप में अधिनायकवाद को स्वीकार नहीं करेगा। अभाविप सदैव लोकतंत्र, स्वतंत्रता और राष्ट्रहित की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ी रहेगी।
अभाविप जिला सह संयोजक सत्यम कुमार ने कहा कि आपातकाल सिर्फ यातनाओं और मानवाधिकारों के हनन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने और देश की वैश्विक छवि को धूमिल करने वाला अध्याय भी है। विद्यार्थी परिषद ने हमेशा आपातकाल का विरोध किया है और इसकी स्मृति को जनमानस के सामने लाने के लिए समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करती रही है।
इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य साहिल मेहता, सुमित पटेल, नगर सह मंत्री धर्मपाल कुशवाहा, विभाग छात्रा प्रमुख गुड़िया कुमारी, नीतीश कुमार, पीयूष कौशिक, राजा कुमार, विवेक कुमार, सोनू कुमार, आकाश कुमार, नीलमणि, मनीष पटेल, बिट्टू कुमार, बादल कुमार, प्रियांशु कुमार, रॉकी, कुणाल, सागर सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।