अपना नालंदा संवाददाता बिहारशरीफ ।विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की साधारण सभा बैठक के अवसर पर आज शनिवार को पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर, हसनपुर, राजगीर में एक अत्यंत प्रभावशाली और भावनात्मक रंगमंचीय सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप मंत्र के साथ हुई, जिसमें उपस्थित विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर विधिवत शुभारंभ किया गया।
इसके उपरांत विद्यार्थियों ने मंच पर विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, परंपरा, लोक कलाओं और राष्ट्रभक्ति की भावना को सजीव रूप में प्रस्तुत किया।मुख्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां इस प्रकार रहीं:दीप मंत्र – दीप प्रज्वलन के साथ उद्घाटनएकल नृत्य (गणेश वंदना) – माही अनुष्कासंथाली नृत्य
“माय-गो-माय” – आकांक्षा, अमीषा, दिव्या, अंशिका व अन्यसमूह नृत्य “वाल्मीकि ने रची” – पल्लवी, वैष्णवी, कोमल, मिशिका व अन्यगायन “हमार देशवा” – प्रतीक, प्रणव, शिवांग, आलोकसमूह नृत्य “झिझिया” – जॉली, अमीषा, आद्या व अन्यसंदेशपरक नाटिका – परिधि, शालिनी व अन्यसमूह नृत्य “बिहार गौरव गान” –
सोनाली, माही, अनिका व अन्यशांति मंत्र – समापन प्रस्तुतिइस अवसर पर मंच की शोभा बढ़ाने वाले विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रविंद्र कन्हारे, श्री राजेन्द्र प्रसाद खेतान, कोषाध्यक्ष श्री जैनपाल जैन, श्री कमल किशोर सिन्हा, क्षेत्रीय सह मंत्री श्री राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह, श्री मोहन सिंह, श्री दिनेश कुमार,
श्री मनोज कुमार, प्रदेश सचिव श्री प्रदीप कुमार कुशवाहा, श्री रामलाल सिंह, श्री नकुल कुमार शर्मा, श्री भरत पूर्वे तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अनंत कुमार सिन्हा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और विद्यार्थियों की प्रतिभा की मुक्तकंठ से सराहना की।कार्यक्रम को सफल बनाने में नवीन परमार,
गिरीश कुमार एवं बिरेंद्र प्रताप सिंह ने प्रचार-प्रसार और समन्वय की जिम्मेदारी अत्यंत कुशलता से निभाई।इस संपूर्ण सांस्कृतिक संध्या को 5 में से 5 अंक (रेटिंग) देते हुए यह कहा जा सकता है कि यह आयोजन न केवल शिक्षण संस्थानों के लिए प्रेरणास्रोत रहा, बल्कि यह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, भारतीय मूल्यों और राष्ट्रभक्ति की भावना को पोषित करने वाला एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया। उपस्थित सभी दर्शक इस कार्यक्रम से भावनात्मक और प्रेरणादायी अनुभव लेकर लौटे।