अंधियारा नदी की गाद उड़ाही में भारी अनियमितता, मानक से विपरीत हो रहा कार्य, किसानों में आक्रोश

Written by Subhash Rajak

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विजय प्रकाश उर्फ पिन्नु
नूरसराय (अपना नालंदा)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा नूरसराय के मकनपुर से रहुई के धमौली तक अंधियारा नदी की गाद उड़ाही और नूरसराय व हरनौत प्रखंडों में आठ एंटी-फ्लड स्लुइस गेट के निर्माण की घोषणा के बाद संबंधित कार्य तो शुरू हो गया है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

खासकर नूरसराय के मेयार गांव के समीप नदी की उड़ाही के दौरान भारी अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं। किसानों ने आरोप लगाया है कि यह कार्य जनहित में नहीं, बल्कि सिर्फ खानापूरी और संवेदक के लाभ के लिए किया जा रहा है। स्वीकृत प्राक्कलन के अनुसार नदी की चौड़ाई 36 फीट होनी चाहिए और दोनों किनारों पर 20-20 फीट के तटबंध बनने थे, पर वास्तविकता इससे कोसों दूर है।

किसानों का आरोप:
मेयार गांव के किसान रामानुज प्रसाद ने बताया कि गाद की उड़ाही के नाम पर ठेकेदार द्वारा सिर्फ खानापूरी की जा रही है। किसान धनंजय कुमार ने कहा कि नदी की वास्तविक सतह की चौड़ाई 40 फीट है, लेकिन उड़ाही महज 15 से 20 फीट तक ही सीमित है। गहराई भी सिर्फ 1 फीट तक की जा रही है जबकि अधिक गहराई की आवश्यकता है। तटबंध भी 20 फीट के बजाय मात्र 5 फीट तक बनाए जा रहे हैं।

किसान रणवीर कुमार का कहना है कि उड़ाही के बाद भी नदी की सतह वैसी की वैसी दिखाई दे रही है, जिससे साफ जाहिर होता है कि कार्य मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है। वहीं, जब किसानों ने ठेकेदार से शिकायत की, तो उसने धमकी भरे लहजे में जवाब दिया कि “जहां जाना है जाओ, मैं जैसा कहूंगा वैसा ही काम होगा, किसी पदाधिकारी से डर नहीं है।”

राजनीतिक पहल और प्रशासनिक उदासीनता:
किसानों ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने किसानों के हित में इस योजना को मुख्यमंत्री से मंजूर कराकर कार्य शुरू कराया था, लेकिन जिस प्रकार से कार्य हो रहा है, उससे किसानों को लाभ के बजाय नुकसान ही होगा।

किसान रविन्द्र कुमार ने कहा कि यदि यह कार्य मनरेगा से कराया गया होता तो न केवल गुणवत्ता बेहतर होती, बल्कि मजदूरों को रोजगार भी मिलता।

किसानों की मांग:
आक्रोशित किसानों ने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से इस नदी की पुनः नापी कराई जाए और स्वीकृत प्राक्कलन के अनुसार गाद उड़ाही का कार्य कराया जाए। साथ ही दोषी ठेकेदार और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए ताकि किसानों के हित सुरक्षित रह सकें।

अगर समय रहते इस कार्य में सुधार नहीं किया गया तो इसका दुष्परिणाम आने वाले दिनों में क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को भुगतना पड़ेगा। प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की चिंता को गंभीरता से ले और जांच के बाद उचित कार्रवाई करे।

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