अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा साक्षमता परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन अब तक इन विशिष्ट शिक्षकों का पे-फिक्सेशन नहीं हो पाया है। इसका सीधा असर उनके वेतन पर पड़ रहा है। परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रौशन कुमार ने प्रेस बयान जारी कर यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि साक्षमता परीक्षा पास कर राज्यकर्मी बनने वाले शिक्षकों को हर महीने औसतन 14,000 रुपये कम वेतन दिया जा रहा है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि शिक्षकों की आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ रहा है। शिक्षकों में निराशा का माहौल है, क्योंकि पाँच महीने बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुरूप पे-फिक्सेशन की प्रक्रिया जिले में प्रारंभ नहीं की गई है।
रौशन कुमार ने बताया कि परीक्षा से पूर्व इन शिक्षकों का बेसिक पे ₹31,000 था, लेकिन अब ₹25,000 के आधार पर वेतन भुगतान हो रहा है। जबकि बिहार सरकार की विशिष्ट शिक्षक नियमावली के गजट में यह स्पष्ट है कि साक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को पे-प्रोटेक्शन के तहत उचित वेतनमान दिया जाना चाहिए। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने यह भी बताया कि वे शिक्षक जो परीक्षा में शामिल नहीं हुए और अभी भी नियोजित शिक्षक हैं, उन्हें विशिष्ट शिक्षकों की तुलना में ₹14,000 अधिक वेतन मिल रहा है। यह स्थिति विशिष्ट शिक्षकों को मानसिक रूप से अपमानित महसूस करवा रही है।
एचआरएमएस पोर्टल की खामियों को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को जहाँ 10%, 7.5% और 5% की दर से आवास भत्ता मिल रहा है, वहीं राज्यकर्मी बने विशिष्ट शिक्षकों को मात्र 4% की दर से भुगतान हो रहा है। इसी प्रकार, महंगाई भत्ता भी नियमानुसार 53% की बजाय 50% ही दिया जा रहा है, जो पूरी तरह से नियमविरुद्ध है।
संघ द्वारा कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और स्थापना डीपीओ को पत्र के माध्यम से पे-फिक्सेशन की मांग की गई, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते हजारों शिक्षक आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
रौशन कुमार ने सरकार और विभाग से आग्रह किया कि पे-प्रोटेक्शन के प्रावधानों के अनुसार तत्काल पे-फिक्सेशन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए और एचआरएमएस पोर्टल पर बेसिक पे, महंगाई भत्ता और आवास भत्ता को अपडेट कर वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इससे साक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों की मानसिक और आर्थिक पीड़ा का अंत हो सकेगा।