विजय प्रकाश उर्फ पिन्नु
नूरसराय (अपना नालंदा)। नालंदा के नूरसराय स्थित उद्यान महाविद्यालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय आंगनबाड़ी प्रशिक्षण कार्यक्रम की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। शुक्रवार से शुरू हुए इस प्रशिक्षण के दूसरे दिन, शनिवार को प्रशिक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति होती नजर आई।
प्रशिक्षण कक्ष का दृश्य बेहद चिंताजनक था। प्रशिक्षण में शामिल कई सेविकाएं आपस में बातचीत और शोरगुल में व्यस्त थीं। प्रशिक्षण के दौरान अनुशासन का अभाव साफ देखा गया। कई सेविकाएं अपने मोबाइल फोन पर वीडियो देखने और चैटिंग में मशगूल थीं। इतना ही नहीं, प्रशिक्षण स्थल पर 10 से 12 वर्ष तक के बच्चे भी मौजूद पाए गए, जिससे माहौल और अव्यवस्थित हो गया।
स्थिति तब गंभीर हो गई जब प्रशिक्षण का यह हाल एक वीडियो के जरिए सोशल मीडिया (व्हाट्सएप) पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होते ही बाल विकास परियोजना कार्यालय, नूरसराय के कर्मी तत्काल मौके पर पहुंचे और प्रशिक्षण की गतिविधियों को नियंत्रित करने का प्रयास करने लगे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार की लापरवाही नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के समान है। यह सवाल भी उठता है कि जब सेविकाएं स्वयं प्रशिक्षण में रुचि नहीं ले रहीं, तो वे बच्चों की देखभाल और शिक्षा में कितनी गंभीर होंगी?
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है ताकि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इन गड़बड़ियों की जांच करेगा कौन और कब?
आंगनबाड़ी जैसे संवेदनशील विभागों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता ही बच्चों के पोषण और शिक्षा की नींव है। ऐसे में इस तरह की लापरवाही न केवल चिंताजनक है, बल्कि सरकारी योजनाओं की सफलता पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।