बाबा बख्तौर मंदिर में 6 मई को जागरण, 7 मई को विशेष पूजा; झूले और मेला भी होगा आकर्षण का केंद्र

Written by Subhash Rajak

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हरिओम कुमार
हरनौत (अपना नालंदा)। वैशाख शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अवसर पर हरनौत नगर पंचायत अंतर्गत सबनहुआडीह स्थित ऐतिहासिक बाबा बख्तौर मंदिर में दो दिवसीय पूजा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन की शुरुआत 6 मई को शाम में भव्य शोभायात्रा एवं जागरण कार्यक्रम से होगी, जबकि 7 मई को सुबह 10 बजे से विधिवत पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाएगा। इस विशेष आयोजन का नेतृत्व श्री श्री बाबा बख्तौर धाम पूजा समिति द्वारा किया जा रहा है।

पूजा समिति से जुड़े पुजारी गोलू पुजारी, मुनारीक भगत एवं अवधेश भगत ने बताया कि 6 मई को नवमी तिथि की शाम शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद रात्रि में जागरण का आयोजन होगा, जिसमें दर्जनों भगत बाबा बख्तौर के भजन प्रस्तुत करेंगे। भजन कार्यक्रम में पारंपरिक ‘मानर’ (वाद्य यंत्र) की धुनों पर भक्ति रस बिखेरे जाएंगे।

7 मई को पूजा के बाद श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद स्वरूप ‘रसिया’ का वितरण किया जाएगा। महिलाएं परंपरागत रूप से अपने आँचल पसारकर भगतों से आशीर्वाद लेती हैं। माना जाता है कि बाबा बख्तौर की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसलिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में इसमें भाग लेते हैं।

पूजा स्थल पर मेला भी लगेगा, जिसमें बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले और मनोरंजन के साधन लगाए जाएंगे। यह आयोजन नालंदा ही नहीं, आसपास के जिलों से भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

स्थानीय श्रद्धालुओं कुमोद भगत, अजीत, अशोक, मदन यादव, सको भगत और रामबाबू भक्त ने बताया कि यह एक पारंपरिक पूजा है, जो वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि बाबा बख्तौर ने अत्याचार, अन्याय और गरीबों के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया था। कथा अनुसार, जब पृथ्वी पर राजा दलेल सिंह और राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया, तब माता कोयला के गर्भ से बाबा बख्तौर का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम पूरणमाल था। बाद में राजा दलेल सिंह ने साजिश के तहत बाबा के मामा बदन सिंह की मदद से उनका वध करवा दिया। उसी स्मृति में यह पूजा हर साल हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

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