अपना नालंदा संवाददाता
राजगीर। प्रखण्ड के चर्चित समाजसेवी गोपाल महतो अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार को 95 वर्ष की उम्र में विम्स में उनका निधन हो गया। ग्रामीणों के बीच वे “सरदार जी” और “भागीरथ” के नाम से प्रसिद्ध थे। क्षेत्र की सेवा में उन्होंने जो योगदान दिया, वह आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
बताया जाता है कि 1966 के भयानक अकाल के दौरान गोपाल महतो ने पैमार नदी पर मालीसांढ़ के पास 60 फीट चौड़े अस्थायी बांध का निर्माण कराया था, जिससे 42 गांवों में धान की सिंचाई संभव हुई। इस कार्य में कैसर मियां, अजीम मियां, मोहम्मद इसरार, मोहम्मद अरमान और मोहम्मद जसीम ने भी सहयोग किया था। उनके इस प्रयास के बाद जल संसाधन विभाग ने वहां स्थायी बराज का निर्माण किया और दायां-बायां नहर निकालकर राजगीर, सिलाव और बेन अंचल की कृषि को सिंचाई की स्थायी सुविधा दी।
समस्याओं के समाधान में रहते थे तत्पर
गोपाल महतो समाज की समस्याओं को समझते थे और समय रहते उनका समाधान करते थे। मेयार के विनय कुमार सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे गांव की हर समस्या से अवगत रहते थे और समय पर उसका हल निकालते थे।
परमानंद सिंह ने बताया कि खैरा, करीमपुर, अंडवस और मौलानाडीह जैसे क्षेत्रों की भूमि पहले सिंचाई के अभाव में बंजर रहती थी, लेकिन गोपाल बाबू के प्रयासों से यह भूमि उपजाऊ हो गई।
डकैतों से दिलाया था मुक्ति
रामविलास प्रसाद ने कहा कि 80 के दशक में जब क्षेत्र में डकैतों का आतंक चरम पर था, तब गोपाल बाबू ने जनसहयोग से डकैतों को पकड़वाया और इलाके को सुरक्षित बनाया। उनके प्रयासों के बाद से क्षेत्र में डकैती की घटनाएं बंद हो गईं।

समाज ने खोया एक अभिभावक
बेन के पूर्व जिला पार्षद प्रतिनिधि अनिल कुमार ने कहा कि उनके निधन से समाज ने एक सच्चा अभिभावक खो दिया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। डॉ गोपाल शरण सिंह ने भी इसे क्षेत्र की अपूरणीय क्षति बताया।
उनके पुत्र डॉ सत्येंद्र प्रसाद ने लोगों से उनके कार्यों को आगे बढ़ाने की अपील की है।
शोक संवेदनाएं
इस दुखद घड़ी में डॉ संगीता कुमारी, धर्मवीर आर्य, सिंटू कुमारी, सिंकु कुमारी, विकास कुमार, राजनंदन प्रसाद, ब्रह्मदेव प्रसाद, मधु कुमार, शिव शंकर प्रसाद, प्रमोद कुमार, टिंकू कुमार सहित अनेक लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।
डॉ अमरदीप नारायण व डॉ रश्मि ने भी शोक प्रकट करते हुए परिवार को धैर्य रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गोपाल महतो एक मृदुभाषी और सौम्य व्यक्तित्व थे जो विवादों को सुलझाने में निपुण थे।