खेती के साथ मधुमक्खी पालन: नालंदा के किसानों के लिए आय का नया जरिया

Written by Subhash Rajak

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रिपोर्ट: बीर बहादुर सिंह, अचिन कुमार, राजीव पद्भूषण, चन्द्रशेखर आजाद एवं रणधीर कुमार
नालंदा उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए अब खेती के साथ मधुमक्खी पालन (एपिकल्चर) एक प्रभावी और लाभकारी विकल्प बनता जा रहा है। यह एक ऐसा उद्यम है जिसमें भूमि की आवश्यकता नहीं होती और यह खेती की अन्य प्रणालियों से किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं करता। मधुमक्खियां परागण में अत्यंत कुशल होती हैं, जिससे न केवल फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में भी योगदान मिलता है।

मधुमक्खी पालन से फसलों की पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी

मधुमक्खियां पर-परागण के जरिए कई कृषि, बागवानी एवं चारा फसलों की उत्पादकता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा देती हैं। नीचे कुछ फसलों में उपज बढ़ोतरी की प्रतिशत जानकारी दी गई है:

क्र.सं. फसल का नाम उपज में बढ़ोतरी (%) क्र.सं. फसल का नाम उपज में बढ़ोतरी (%)

1 सरसों 30 – 90 6 मूली 80 – 300
2 तोरिया 30 – 110 7 अमरूद 15 – 70
3 धनिया 20 – 55 8 बैंगन 35 – 200
4 सूर्यमुखी 25 – 60 9 नेनुआ 20 – 60
5 प्याज 40 – 80 10 मक्का 35 – 67

मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक उपकरण

मौन पेटिका (Bee Box)

मुंह रक्षक जाली

दस्ताने

धुआंकर

छीलन चाकू

ब्रश

भोजन पात्र

बाल्टी

शहद निष्कासन यंत्र

मधुमक्खी पालन के प्रमुख लाभ

कम लागत, कम समय और न्यूनतम संरचनात्मक निवेश की आवश्यकता।

पुष्परस और पराग का बेहतर उपयोग, जिससे स्वरोजगार और अतिरिक्त आय का स्रोत बनता है।

मधुमक्खी पालन अन्य कृषि कार्यों से स्पर्धा नहीं करता।

एक बक्से से शहद, रॉयल जेली, मोम, पराग, मौनी और विष का उत्पादन संभव।

खेतों में मौन पेटिकाएं रखने से परागण के जरिए फसल उत्पादन में 25% से 150% तक की बढ़ोतरी।

मधु, रॉयल जेली व पराग का सेवन स्वास्थ्यवर्धक, रोगप्रतिरोधक व दीर्घायु बढ़ाने वाला होता है।

मधुमक्खी विष से गठिया, कैंसर व अन्य रोगों की दवाएं तैयार होती हैं।

यह व्यवसाय एकल या समूह स्तर पर शुरू किया जा सकता है।

शहद और मोम की बाजार में स्थायी और भारी मांग है।

एक मौन पेटिका से आमदनी का गणित

एक मौन पेटिका की कीमत लगभग ₹4000 होती है। इससे सालभर में लगभग 20 किलोग्राम शहद प्राप्त होता है। यदि बाजार में शहद की कीमत ₹300 प्रति किलोग्राम हो, तो 20 किलो शहद से ₹6000 की आमदनी होती है।
पहले साल में ₹2000 का शुद्ध लाभ और उसके बाद हर साल ₹6000 की शुद्ध आय संभव है। यदि कोई किसान 100 पेटिकाएं रखता है, तो सालाना ₹6 लाख तक की आमदनी संभव हो सकती है।

खेती के साथ मधुमक्खी पालन को अपनाकर नालंदा के किसान कम लागत में अपनी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी कर सकते हैं। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पारिस्थितिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत उपयोगी है।

विशेष जानकारी हेतु संपर्क करें:
बीर बहादुर सिंह
मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ
मोबाइल: 9576488591

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