नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति का जेनेवा दौरा: दक्षिण-दक्षिण सहयोग और वैश्विक ज्ञान साझेदारी को नई दिशा

Written by Sanjay Kumar

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संजय कुमार
बिहारशरीफ (अपना नालंदा)।नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने हाल ही में जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में आयोजित कई उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने वैश्विक सहयोग, क्षमता निर्माण तथा नवाचार-आधारित विकास के प्रति नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया।
प्रो. चतुर्वेदी ने 13–14 नवम्बर 2025 को वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) द्वारा आयोजित तीसरे विशेषज्ञ स्तरीय राउंडटेबल सम्मेलन में हिस्सा लिया। “दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग के माध्यम से नवाचार” विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ में नवाचार को सशक्त करने के लिए सहयोगात्मक इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी फ्रेमवर्क और प्रभावी तकनीकी हस्तांतरण तंत्र विकसित करना आवश्यक है। उन्होंने न्यायसंगत ज्ञान-प्राप्ति, क्षमता निर्माण और ऐसे साझेदारी मॉडल की जरूरत पर बल दिया जो सतत एवं समावेशी विकास को प्रोत्साहित करें।
जेनेवा प्रवास के दौरान प्रो. चतुर्वेदी ने साउथ सेंटर, जो विकासशील देशों का एक प्रमुख अंतर-सरकारी नीति अनुसंधान संगठन है, में भी महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया। इन चर्चाओं में ग्लोबल साउथ के सामूहिक हितों, भारत की अग्रणी भूमिका, और नीति अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर विस्तार से चर्चा की गई। इन संवादों ने संयुक्त पहलों, ज्ञान-साझेदारी और सामूहिक क्षमता निर्माण को नई गति प्रदान की।
नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और सशक्त बनाने तथा ऐसे वैश्विक संवादों में सक्रिय और प्रभावी योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सतत और नवाचार-संचालित विकास की दिशा में विश्व समुदाय को आगे बढ़ाएँ।

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