अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ।विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए काम कर रहे नागरिक समाज संगठन आइडिया ने जिले में बाल श्रम के खिलाफ अपने एक साल के अभियान की रिपोर्ट साझा करते हुए दावा किया कि अब तक 90 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया है। संगठन ने राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन की शुरुआत और उसके लिए पर्याप्त संसाधन आवंटन की मांग भी उठाई है।
आइडिया संस्था, देशभर के 418 जिलों में कार्यरत नागरिक समाज के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) की सहयोगी संस्था है। इस अवसर पर संस्था द्वारा जिले में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें लोगों को बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूक किया गया और इसे समाप्त करने का संकल्प भी लिया गया।
एक साल में 35 छापामारी, 90 बच्चे मुक्त
आइडिया ने बताया कि पिछले एक वर्ष में जिला प्रशासन के सहयोग से 35 छापामारी अभियान चलाए गए, जिनमें से 90 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया। वहीं, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के दिन भी दो बच्चों को बाल मजदूरी से आज़ाद कराया गया। संस्था ने उम्मीद जताई कि प्रशासन और समाज के संयुक्त प्रयासों से जल्द ही नालंदा को बाल श्रम मुक्त जिला बनाया जा सकेगा।
समग्र पुनर्वास नीति की आवश्यकता
आइडिया की निदेशक रागिनी कुमारी ने बताया कि जिले में अब तक कुल 125 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्ति दिलाई गई है और उनके पुनर्वास की दिशा में भी कार्य किया गया है। उन्होंने कहा, “बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए पीड़ितों के पुनर्वास और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई आवश्यक है। भारत इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है।”
उन्होंने मांग की कि—
18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा लागू की जाए
बाल मजदूर पुनर्वास कोष की स्थापना की जाए
सरकारी खरीद में बाल श्रम के उपयोग पर सख्ती से रोक लगाई जाए
खतरनाक उद्योगों की सूची का विस्तार किया जाए
राज्यों को अपनी ज़रूरतों के मुताबिक नीति निर्धारण की छूट मिले
सतत विकास लक्ष्य 8.7 की समयसीमा 2030 तक बढ़ाई जाए
दोषियों के खिलाफ त्वरित व सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए
“न्याय तक पहुंच” से 85,000 बच्चों को राहत
JRC के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने बताया कि JRC ने अपने कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के तहत पिछले दो वर्षों में 85,000 से अधिक बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की गई है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन 182 पर हस्ताक्षर कर खतरनाक बाल श्रम को समाप्त करने की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता जताई है। रवि कांत ने कहा, “विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें बाल श्रम मुक्त आपूर्ति श्रृंखला, कौशल विकास और शिक्षा प्राप्त जिम्मेदार नागरिक तैयार करने होंगे। सरकार को अभियोजन तंत्र को मजबूत कर एक समग्र पुनर्वास नीति पर काम करना चाहिए।”




