मोहम्मद हमजा अस्थानवी
अस्थावां (अपना नालंदा)। प्रसिद्ध लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता शकील अस्थानवी की पुत्री हाफिजा मारिया ने पवित्र कुरआन शरीफ़ को मुकम्मल करने की सआदत हासिल की है। इस मुबारक मौके पर अस्थावां जामा मस्जिद में दुआए मग़फ़िरत और एक रूहानी मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें गांव और आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में लोगों ने शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत हाफिज आदिल द्वारा की गई तिलावत-ए-कलाम पाक से हुई। इसके बाद नात-ए-पाक ताबिश नदवी ने पेश की, जिसने महफ़िल को रूहानियत से भर दिया। मजलिस में विशेष रूप से मुजफ्फरपुर से पधारे मौलाना इक़बाल अहमद क़ासमी ने इस्लामी तालीमात और बेटियों की दीनी तरबियत पर प्रेरणादायक और असरदार बयान दिया।
अपने बयान में मौलाना ने कहा कि बेटियों का कुरआन शरीफ़ मुकम्मल करना ना सिर्फ़ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए रौशनी की मिसाल है। हाफिजा मारिया की यह कामयाबी इल्म और ईमान की राह पर एक प्रेरणा है। उन्होंने पूरे गांव, मोहल्ले और देश की सलामती के लिए दुआ की।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में गांव के लोग, रिश्तेदार, उलेमा और दीनी शख्सियतें मौजूद रहीं। महिलाओं के लिए परदे का विशेष इंतज़ाम किया गया था ताकि वे भी मजलिस में शरीक होकर दुआओं का हिस्सा बन सकें।
गौरतलब है कि शकील अस्थानवी निष्पक्ष लेखन के लिए ख्यातिप्राप्त लेखक हैं, जिन्होंने समाजिक चेतना और धार्मिक एकता के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। उनकी पुत्री द्वारा हिफ़्ज़-ए-कुरआन की यह उपलब्धि उनके परिवार के लिए रूहानी इनआम से कम नहीं।




