अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ । वक़्फ़ बिल 2025 के विरोध में शनिवार को बिहारशरीफ के आलमगंज मोड़ पर इंडियन नेशनल लीग और भाकपा माले के संयुक्त तत्वावधान में विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के तहत वक़्फ़ बिल की प्रतियों का प्रतीकात्मक दहन किया गया और इसे संविधान विरोधी तथा लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता इक़बालु ज़फ़र ने कहा कि वक़्फ़ बिल 2025 एक खतरनाक कानून है, जो न केवल अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है, बल्कि संविधान के मूल स्वरूप के भी खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस कानून के जरिए असली मुद्दों—जैसे बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक संकट—से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। इक़बालु ज़फ़र ने कहा, “वक़्फ़ की ज़मीनों पर पहले से ही सरकार और प्रशासन का अघोषित कब्ज़ा है, जैसे सोगरा स्कूल के मैदान का मामला। इस कानून के लागू होने से ऐसे कब्जों को कानूनी रूप से वैध बना दिया जाएगा।”
भाकपा माले के बिहारशरीफ प्रभारी पाल बिहारी लाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बिल उसकी विफलताओं को छिपाने की एक साज़िश है। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार देश की बुनियादी समस्याओं को हल नहीं कर पा रही है, इसलिए साम्प्रदायिक मुद्दों को हवा देने के लिए ऐसे विवादास्पद कानून ला रही है।”
उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम न मानते हुए उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति देना विवादों को लंबा खींचने का तरीका है, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों को स्थायी बनाया जा सके। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार इसी तरह अन्य धर्मों की चैरिटेबल संस्थाओं में भी दखल देगी?
पाल बिहारी लाल ने कहा, “वक़्फ़ बिल की न नीति साफ़ है, न नीयत। यह करोड़ों लोगों से उनके घर-दुकान छीनने की एक साज़िश है। भाजपा इस कानून के जरिए अपने असंतुष्ट समर्थकों को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के ज़रिए फिर से जोड़ना चाहती है।”
कार्यक्रम का संचालन पाल बिहारी लाल ने किया। कार्यक्रम में मो. अब्दुल्ला, नसीरुद्दीन, माले जिला समिति सदस्य सुनील कुमार, सुधीर कुमार, रामप्रीत केवट, दामोदर दास, मो. नदीम रईश, सेराज कादरी, मो. परवेज आलम, फसीउद्दीन, जीशान अख्तर समेत कई सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि वक़्फ़ बिल न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के हक़ों पर हमला है, बल्कि देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी नुकसान पहुंचाने वाला कदम है। सरकार को यह बिल वापस लेना चाहिए, अन्यथा देशभर में इसका जोरदार विरोध होगा।




