जाग जाओ, नहीं तो सिर्फ़ तस्वीरों में दिखेगी गौरैया

Written by Subhash Rajak

Published on:

बिहारशरीफ:
एक दौर था जब सुबह की पहली आवाज़ गौरैया की चहचहाहट होती थी। आंगन में खेलते हुए बच्चों के साथ इसकी फुदकने की तस्वीरें हमारी यादों में बसी हुई हैं। लेकिन आज यह मासूम पक्षी हमारी ज़िंदगी से धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। पहले जहां घरों की मुंडेर और पेड़ों की शाखाओं पर यह आसानी से दिख जाती थी, अब इसे ढूंढना मुश्किल हो गया है।

made shelter home for goraiyya

गौरैया की घटती आबादी – एक बड़ा खतरा

गौरैया हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा है, लेकिन पिछले तीन दशकों में इसकी आबादी में 85% तक की कमी दर्ज की गई है। पहले यह गांवों, कस्बों और शहरों में आसानी से दिखती थी, लेकिन अब इसकी उपस्थिति बेहद कम हो गई है। अगर हमने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो एक दिन ऐसा आएगा जब गौरैया सिर्फ़ तस्वीरों और किताबों में ही बची रह जाएगी।

गौरैया के विलुप्त होने के कारण

गौरैया की संख्या में कमी आने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से अधिकतर इंसानी गतिविधियों से जुड़े हैं।

  1. बदलती जीवनशैली – आधुनिक जीवनशैली और रहन-सहन के तरीकों में बदलाव के कारण गौरैया के लिए घरों में जगह नहीं बची।
  2. ऊंची इमारतों का निर्माण – पहले घरों की दीवारों और छतों में बने छोटे-छोटे सुराखों में गौरैया अपना घोंसला बना लेती थी, लेकिन अब कंक्रीट के मकानों में इसके लिए कोई जगह नहीं बची।
  3. मोबाइल टावर और रेडिएशन – मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
  4. कीटनाशकों और रसायनों का बढ़ता उपयोग – खेतों में कीटनाशकों और रसायनों का अधिक प्रयोग गौरैया के भोजन को ज़हरीला बना रहा है, जिससे उनकी संख्या तेजी से घट रही है।
  5. प्राकृतिक आवास की कमी – पेड़ों की कटाई और ग्रीनरी कम होने से गौरैया को घोंसला बनाने के लिए सुरक्षित जगह नहीं मिल रही।
  6. पानी की कमी – गर्मी और जल संकट के कारण गौरैया को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे वह प्यास से मर रही है।
  7. प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन – बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण गौरैया का जीवन संकट में आ गया है।
save goraiyya

गौरैया को कैसे बचाया जा सकता है?

गौरैया को बचाने के लिए हमें अपने स्तर पर कुछ छोटे लेकिन प्रभावी कदम उठाने होंगे।

  1. छत और बालकनी पर दाना-पानी रखें – रोज़ाना अपनी छत या बालकनी में मिट्टी के कटोरे में अनाज और पानी रखें, ताकि गौरैया को भोजन मिल सके।
  2. झाड़ीदार पेड़-पौधे लगाएं – घरों के आसपास छोटे पेड़ और झाड़ियां लगाएं, ताकि गौरैया को घोंसला बनाने के लिए सुरक्षित स्थान मिल सके।
  3. कृत्रिम घोंसले लगाएं – लकड़ी या मिट्टी से बने छोटे घोंसले घरों और बगीचों में लगाएं, ताकि गौरैया वहां सुरक्षित रह सके।
  4. रसायनों और कीटनाशकों का कम प्रयोग करें – जैविक खेती को बढ़ावा दें और खेतों में ज़हरीले रसायनों का इस्तेमाल कम करें।
  5. प्रदूषण को कम करें – प्लास्टिक और अन्य प्रदूषण फैलाने वाली चीज़ों का कम से कम इस्तेमाल करें।
  6. गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाएं – बच्चों, स्कूलों और समाज में गौरैया बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस मुहिम से जुड़ सकें।

अब भी समय है, जाग जाइए

गौरैया केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारे बचपन की यादों और हमारे पर्यावरण का अहम हिस्सा है। यह हमें प्रकृति के करीब रखती है, लेकिन अगर हमने इसे बचाने के लिए अभी कदम नहीं उठाए, तो यह हमेशा के लिए हमसे दूर चली जाएगी। हमें अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी और इसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा।

अब भी वक़्त है, जाग जाइए। वरना हमारी आने वाली पीढ़ी गौरैया को सिर्फ़ किताबों और पुरानी तस्वीरों में ही देख पाएगी।

Leave a Comment