संजय कुमार बिहारशरीफ(अपना नालंदा)। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की साधारण सभा का दूसरा दिन सामाजिक समरसता और आत्मीयता की अनुपम मिसाल बन गया। आयोजन स्थल – पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर,
हसनपुर (राजगीर) में आसपास के सेवा बस्तियों से जुड़ी माताएं और बच्चे विशेष रूप से आमंत्रित किए गए। इन संस्कार केंद्रों की वंचित वर्ग की महिलाओं ने देशभर से आए अतिथियों के लिए अपने घरों से श्रद्धाभावपूर्वक रोटियां, सब्जियां आदि बनाकर लाईं।
विद्या भारती की संगठनात्मक व्यवस्था के तहत इन महिलाओं को सम्मानपूर्वक भोज कराया गया, जो समरसता के भाव को जीवंत कर गया। यह दृश्य सभी उपस्थित अतिथियों के लिए अत्यंत भावुक और प्रेरणास्पद रहा।
बताया गया कि पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर द्वारा राजगीर क्षेत्र में करीब 30 से अधिक संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां वंचित वर्गों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, संस्कार और स्वावलंबन का प्रशिक्षण दिया जाता है।
संस्कार केंद्रों के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अवनीश भटनागर ने कहा कि देशभर में ऐसे लगभग 4000 संस्कार केंद्र संचालित हो रहे हैं।
इन केंद्रों का उद्देश्य वंचित समाज के बच्चों को सुशिक्षित, संस्कारी और जिम्मेदार नागरिक बनाना है। पंचपदी शिक्षण पद्धति – अधिती (अध्ययन), बोध (समझ), अभ्यास, प्रयोग और प्रसार के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर विशेष बल दिया जाता है।
सेवा कार्य प्रमुख परमेश्वर कुमार ने बताया कि इस समरसता भोज में 11 गांवों से 109 परिवारों की महिलाओं ने भाग लिया। यह आयोजन न केवल सेवा का सजीव उदाहरण बना, बल्कि सामाजिक समरसता की भावना को और भी प्रबल किया।




