लोक आस्था का महापर्व चैती छठ श्रद्धा, स्वच्छता और निष्ठा के साथ संपन्न

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ पूरे श्रद्धा, भक्ति और निष्ठा के साथ नालंदा जिले के विभिन्न छठ घाटों पर धूमधाम से संपन्न हुआ। यह चार दिवसीय व्रत भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित होता है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में आस्था और परंपरा के साथ मनाया जाता है।

नहाय-खाय से पारण तक चला चार दिवसीय अनुष्ठान

छठ व्रती मुनचुन शर्मा ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाने वाला यह पर्व लोक आस्था का प्रतीक है। इस दौरान विशेष छठ गीत गाए जाते हैं और व्रत का पालन किया जाता है।

पहला दिन: नहाय-खाय

चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि को पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में स्नान कर व्रती स्वयं को शुद्ध करते हैं। इसके बाद पूरी स्वच्छता और शुद्धता के साथ प्रसाद बनाया जाता है, जिसमें कद्दू की सब्जी, चावल और चने की दाल प्रमुख होती है। नहाय-खाय व्रती के तन और मन की शुद्धि का प्रतीक है।

दूसरा दिन: खरना

चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि को व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शुद्धता के साथ तैयार किए गए विशेष प्रसाद का सेवन करते हैं, जिसे खरना कहा जाता है। इस प्रसाद में मुख्य रूप से गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल होते हैं। इसके बाद व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास प्रारंभ करते हैं।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ व्रती संध्या के समय पवित्र नदी, तालाब या जलाशय के किनारे पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस अर्घ्य में फल, फूल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस दौरान घाटों पर छठ गीतों की गूंज और भक्तिमय माहौल देखने को मिला।

चौथा दिन: पारण के साथ व्रत संपन्न

चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि को प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

मनोकामना पूर्ति का पर्व

श्रद्धालु नवीन ठाकुर ने बताया कि चैती छठ मुख्य रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। यह पर्व दिवाली के बाद आने वाली कार्तिक छठ की तरह उतनी व्यापक नहीं होती, क्योंकि इसे वे ही लोग करते हैं जिनकी कोई विशेष मनोकामना पूरी होती है। मान्यता के अनुसार, व्रती इसे एक, तीन या पांच वर्षों तक करते हैं, वहीं कुछ लोग इसे जीवनभर मनोकामना पूर्ति तक करते रहते हैं।

घाटों पर विशेष आयोजन और स्वच्छता अभियान

पूरे जिले में छठ पर्व को लेकर प्रशासन और स्थानीय समितियों द्वारा विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। छठ घाटों की सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और प्रकाश की विशेष व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालु भक्ति और आस्था में डूबे रहे, घाटों पर छठी मैया के भजन गूंजते रहे और पूरा माहौल भक्तिमय बना रहा।

इस तरह लोक आस्था का यह अनुपम पर्व पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ संपन्न हुआ।

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