संज़र उर्फ़ शौकत
बिहारशरीफ(अपना नालंदा) । सूफी संत हज़रत मखदूम शेख शरफुद्दीन अहमद यहया मनेरी रहमतुल्लाह अलैह का 664वां उर्स मुबारक हर साल की तरह इस साल भी बड़े अदब और एहतराम के साथ आज से शुरु होने जा रहा है। आपका रौज़ा मुबारक बिहार राज्य के नालंदा जिला मुख्यालय, बिहारशरीफ में स्थित है।
हज़रत मखदूम शेख शरफुद्दीन यहया मनेरी रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश 29 शाबान 661 हिजरी (6 जुलाई 1263 ईस्वी) में पटना जिले के मनेर शरीफ कस्बे में हुई थी। आप मनेर शरीफ की सबसे पुरानी खानकाह “राव्वाक” में पैदा हुए थे। आपको मखदूम-ए-जहां और मखदूम-उल-मुल्क के लक़ब से भी जाना जाता है।
आपके वालिद हज़रत कमालुद्दीन यहया मनेरी रहमतुल्लाह अलैह थे, जिनका रौज़ा मुबारक मनेर शरीफ में स्थित है। आपकी वालिदा हज़रत बीबी रज़िया खातून रहमतुल्लाह अलैहा थीं, जिनका रौज़ा मुबारक भी आपके रौज़ा मुबारक के पास स्थित है।
आपका पैतृक वंश सरकारे मदीना हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैहि वसल्लम के चाचा हज़रत जुबैर बिन अब्दुल मुत्तलिब बिन हाशिम से मिलता है, जबकि मातृक वंश पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से जुड़ा है।
आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए हज़रत अल्लामा शरफुद्दीन अबू तवामा बुखारी रहमतुल्लाह अलैह के पास सुनारपुर गांव (अब बांग्लादेश में) जाकर शिक्षा ग्रहण की।
आपकी शादी अपने गुरु हज़रत अल्लामा शरफुद्दीन अबू तवामा रहमतुल्लाह अलैह की पुत्री बीबी बहू बादाम से हुई थी। आप हज़रत मखदूम शहाबुद्दीन पीर जगजूत रहमतुल्लाह अलैह (रौज़ा: जिउठली, फतुहा, पटना) के नवासे (नाती) हैं।
सूफी सिलसिला और आध्यात्मिक योगदान
आपको इजाज़त-ए-खिलाफत हज़रत ख्वाजा नजीबुद्दीन फिरदौसी रहमतुल्लाह अलैह से प्राप्त हुई थी। हालांकि, आपने विभिन्न सूफी सिलसिलों की इजाज़त-ए-खिलाफत प्राप्त की थी, लेकिन फिरदौसी सिलसिले का विशेष रूप से प्रचार-प्रसार किया।
विसाल और उर्स मुबारक
आपका विसाल 5 शव्वाल 782 हिजरी में हुआ। आपका उर्स मुबारक 5 शव्वाल को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ईद के दिन से ही उर्स की शुरुआत हो जाती है, जो 10 से 15 दिनों तक चलता है।
हालांकि, 5 शव्वाल को खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन आपकी खानकाह मोअज़्ज़म से चादर और गुलपोशी पेश की जाती है। 5 शव्वाल से 8 शव्वाल तक उर्स का खास महत्व होता है। लेकिन ईद के दिन से ही जायरीन और श्रद्धालुओं की आमद शुरू हो जाती है।
देश-विदेश से जुटते हैं जायरीन
आपके उर्स मुबारक में भारत के विभिन्न शहरों के अलावा कई अन्य देशों से भी लोग शामिल होते हैं। उर्स के दौरान हर मजहब और मिल्लत के लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और रौज़ा-ए-मुबारक की ज़ियारत का शरफ हासिल करते हैं।
आभार:- सूफी सय्यद शाह मोहम्मद महताब आलम चिश्ती निज़ामी, प्रदेश अध्यक्ष, सूफी खानकाह एसोसिएशन बिहार एवं सज्जादा नशीन खानकाह चिश्तिया फरीदिया