मघड़ा का शीतलाष्टमी मेला 2025: आस्था, परंपरा और उल्लास का अद्भुत संगम

Written by Subhash Rajak

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माघड़ा, नालंदा। बिहार के मघड़ा गांव में आयोजित शीतलाष्टमी मेला 2025 आज अपने अंतिम दिन पर है। माता शीतला के दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। पूरे क्षेत्र में जय माता दी के गगनभेदी जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। श्रद्धालु मां शीतला की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि, आरोग्य और शांति की कामना कर रहे हैं।

मां शीतला: रोग-नाशिनी और सुख-समृद्धि की देवी

  • पुराणों में उल्लेख: स्कंद पुराण, देवी भागवत और पद्म पुराण में माता शीतला की महिमा का वर्णन मिलता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: मान्यता है कि माता शीतला की आराधना करने से संक्रामक रोगों (चेचक, त्वचा रोग) से मुक्ति मिलती है।
  • श्रद्धालुओं की आस्था: हर साल हजारों भक्त यहां आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

बासी भोजन की विशेष परंपरा

शीतलाष्टमी के दिन बासी भोजन खाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता और एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है।

प्रसाद में क्या होता है?

  • दही-चूड़ा
  • पूड़ी-हलवा
  • मीठे चावल
  • ठंडे व्यंजन

यह प्रथा धार्मिक आस्था के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी मानी जाती है। गर्मी के मौसम में ठंडा भोजन शरीर को शीतलता प्रदान करता है।

शीतलाष्टमी मेले की भव्यता

मघड़ा का शीतलाष्टमी मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह लोक संस्कृति और परंपरा का भी अनूठा संगम है।

मेले की मुख्य आकर्षण:
भजन-कीर्तन, नृत्य और पारंपरिक नाटकों की प्रस्तुतियां।
बच्चों के लिए झूले, मिकी माउस ट्रेन और जादू शो।
हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी।
चाट, मिठाइयों और पारंपरिक व्यंजनों की स्टॉल।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां

मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है।

🛡 सुरक्षा व्यवस्था:
पुलिस बल की तैनाती और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी।
आपातकालीन चिकित्सा सेवा और एंबुलेंस की सुविधा।
यातायात नियंत्रण और विशेष पार्किंग व्यवस्था।

मेला आज अपने अंतिम दिन पर – न छोड़ें यह सुनहरा अवसर!

आज शीतलाष्टमी मेले का अंतिम दिन है, और यह आखिरी मौका है मां शीतला के पावन दर्शन करने का। हजारों श्रद्धालु पटना, गया, नवादा और अन्य जिलों से आकर माता की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

अगर आपने अभी तक माता के दर्शन नहीं किए हैं, तो देर न करें! माघड़ा का यह पवित्र मेला आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। आइए, माता शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करें और इस अद्भुत आयोजन का हिस्सा बनें!

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