राजगीर मलमास मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा दिलाने के लिए संत समाज ने शुरू किया अभियान

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। सर्वधर्म समभाव की पावन धरती राजगीर में लगने वाला ऐतिहासिक मलमास मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा दिलाने के लिए संत समाज ने संगठित प्रयास शुरू कर दिया है। इसी उद्देश्य से शनिवार को शहर के बड़ी संगत ठाकुरबाड़ी में साधु-संतों एवं महंतों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न अखाड़ों और मठों से आये संतों ने भाग लिया।

बैठक में मलमास मेला के ऐतिहासिक, पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। संत समाज ने सर्वसम्मति से मलमास मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया। संतों ने कहा कि यह मेला सतयुग काल से लगातार आयोजित हो रहा है और विश्व का सबसे प्राचीन धार्मिक मेला माना जाता है। मलमास मेला के दौरान मान्यता है कि 33 कोटि देवी-देवता राजगीर में प्रवास करते हैं। इस दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और पवित्र कुंडों, झरनों व नदियों में स्नान कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।

बैठक के बाद प्रयागराज से आए जगद्गुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज महाराज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजगीर का मलमास मेला सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मेले को राष्ट्रीय मेला का दर्जा जल्द दिया जाए, क्योंकि यह सभी मानकों को पूर्ण करता है।

स्वामी दिलीप योगीराज महाराज ने मलमास मेला के दौरान सड़क किनारे मांस, मछली, मुर्गा आदि की दुकानों को मुख्य मार्ग से दूर लगाने का सुझाव दिया, ताकि श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। उन्होंने यह भी कहा कि मेला में अश्लील थिएटर जैसे कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए और इसके स्थान पर रामलीला, रासलीला, कथा वाचन एवं सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक नाटकों का आयोजन हो।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मलमास मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा दिलाने के लिए जल्द ही हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाएगा। इसके बाद संत समाज का एक प्रतिनिधिमंडल नालंदा के जिलाधिकारी, बिहार के मुख्यमंत्री एवं भारत सरकार के प्रधानमंत्री से मिलकर औपचारिक रूप से मांग पत्र सौंपेगा। संत समाज ने अपील की कि इस अभियान में राज्यभर के संत, महंत, बुद्धिजीवी, संस्कृति प्रेमी और आम लोग सक्रिय रूप से भाग लें।

बैठक में प्रयागराज के जगद्गुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विवेक मुनी जी महाराज, महंत बाल्मीकि दास, महंत उत्तम दास, महंत सुमन साहेब, महंत मुन्ना दास, महंत भगवान दास, महंत रविंद्र दास, महंत अर्जुन दास, महंत हरिनंदन साहेब, योगगुरु अजय कुमार आर्य, महंत सुखदेव दास, महंत देवेंद्र दास, महंत शिवनंदन दास, महंत राजेंद्र दास, महंत अजय दास, मंजू दासीन, माहेश्वरी दासीन, आचार्य निर्मल द्विवेदी समेत कई संत-महंत एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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