अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। रविवार को शंखनाद साहित्यिक मंडली के सभागार, भैसासुर मोहल्ला में इतिहासकार एवं साहित्यकार प्रो. डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह तथा भूगोलविद प्रो. डॉ. पुरंजय कुमार द्वारा रचित शोध ग्रंथ ‘लद्दाख : कल और आज’ का लोकार्पण किया गया। समारोह का शुभारंभ किसान कॉलेज, सोहसराय के प्राचार्य प्रो. दिबांशु कुमार और प्रो. अनुज कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। अध्यक्षता प्रो. लक्ष्मीकांत सिंह ने की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि यह ग्रंथ लद्दाख के इतिहास, भूगोल, वनस्पति, खनिज संपदा और परिवहन प्रणाली पर गहन शोध आधारित है और विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण कृति है।
मुख्य अतिथि प्रो. दिबांशु कुमार ने इसे लेखक द्वय की ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र की यात्रा कर वहां के प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन करना वास्तव में सराहनीय कार्य है।
भाषाविद धन्नजय श्रोत्रिय ने कहा कि यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों बल्कि यात्राप्रेमियों और सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी है। साहित्यकार जाहिद हुसैन अंसारी ने विश्वास जताया कि इसमें कला, विज्ञान और समाजशास्त्र से जुड़े सभी पाठकों के लिए सामग्री उपलब्ध है।
प्रो. अनुज कुमार ने पुस्तक को लद्दाख की भौगोलिक स्थिति, जनजातियों, रीतिरिवाजों और कृषि पद्धति को समझने का दस्तावेज बताया। वहीं सह-लेखक प्रो. पुरंजय कुमार ने कहा कि यह पुस्तक लद्दाख के इतिहास के साथ-साथ उसके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की झलक भी प्रस्तुत करती है।
प्रो. सच्चिदानंद प्रसाद वर्मा ने इसे शोधकर्ताओं के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह भविष्य में संदर्भ ग्रंथ के रूप में ली जाएगी।
इस अवसर पर प्रो. शकील अहमद अंसारी, साहित्यसेवी गोपाल सागर, समाजसेवी सरदार वीर सिंह, साहित्यकार प्रिया रत्नम, इंजीनियर मिथिलेश प्रसाद चौहान, संजय कुमार शर्मा, अरुण बिहारी शरण सहित अनेक विद्वान व गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

शोध ग्रंथ ‘लद्दाख : कल और आज’ का लोकार्पण, विद्वानों ने सराहा ऐतिहासिक योगदान
Written by Subhash Rajak
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