अपना नालंदा संवाददाता
करायपरसुराय। प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में भारी तबाही मचाने के बाद लोकायन नदी का पानी अब नए इलाकों में फैल रहा है। मकरौता पंचायत सहित कई गांवों में जलस्तर में हल्की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन बाढ़ की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।
सोमवार को उदेरा स्थान बराज से पानी की आमद कम होने के बाद लोकायन नदी के जलस्तर में करीब 5 फीट की कमी दर्ज की गई। बेरथू-डियावा मुख्य मार्ग के बाहापर पुल के पास नदी का पानी सड़कों से उतरने लगा है, लेकिन सड़क पर अब भी पानी का फ्लो जारी है। मुसाढी, कमरथु, फतेहपुर और मकरौता गांव अब भी बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं।
गांवों से धीरे-धीरे पानी निकलना शुरू हो गया है। नदी का जलस्तर फ्लड लेवल से काफी नीचे आ गया है, जिससे आने वाले दिनों में लोगों को थोड़ी राहत मिलने की संभावना है। प्रशासन द्वारा राहत शिविर जारी है। खुले में रहने से बचने के लिए बाढ़ पीड़ितों को पॉलिथीन शीट भी उपलब्ध कराई जा रही है। सड़कों और किनारों की छोटी टूट-फूट को मरम्मत कराने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, दो तटबंधों की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें बेरमा छिलका के पास स्थित तटबंध को नियंत्रित कर लिया गया है। हालांकि कमरथु गांव और अन्य जगहों पर टूटे तटबंधों की मरम्मत अभी पूरी नहीं हो सकी है। लोकायन नदी के अन्य टूटे तटबंधों पर भी कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।
महामारी का खतरा बढ़ा
बाढ़ का पानी उतरने के बाद स्थानीय लोगों के मन में महामारी फैलने का डर बैठ गया है। जगह-जगह जमे पानी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। लोग आशंका जता रहे हैं कि जमे हुए पानी से संक्रामक बीमारियों का फैलाव हो सकता है।
गौरतलब है कि 19 जून से लोकायन नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण बाढ़ का पानी करायपरसुराय प्रखंड के कई गांवों में प्रवेश कर गया था। बाढ़ ने न सिर्फ गर्मी की फसल को बर्बाद किया, बल्कि ग्रामीणों को आवागमन और पशुचारे के संकट में भी डाल दिया।
रविवार की रात से गंगा के जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आई, जिसके बाद सोमवार शाम को गांवों से पानी का बहाव रुकने लगा और लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि अभी भी मकरौता पंचायत के मुसाढी, फतेहपुर, कमरथु, दीरीपर, मकरौता सहित कई गांवों के खेतों में बाढ़ का पानी जमा हुआ है।