अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। आप सब की आवाज़ (आसा) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने रविवार को अपने पैतृक गांव मुस्तफापुर में एक विशेष प्रेस वार्ता का आयोजन किया। रामनवमी के पावन अवसर पर आयोजित इस संवाद में उन्होंने रामराज्य की अवधारणा, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली और स्वास्थ्य, साथ ही भाषाई हिंसा एवं वक़्फ कानून जैसे समसामयिक मुद्दों पर बेबाक राय रखी।

प्रेस वार्ता की शुरुआत में आरसीपी सिंह ने रामनवमी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म का प्रतीक है, जिन्होंने एक आदर्श शासन प्रणाली — रामराज्य — की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि रामराज्य एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसमें जाति, भाषा, खान-पान या क्षेत्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था, और सबको समान अवसर प्राप्त थे। उन्होंने अपने समर्थकों से इस दिन को “संकल्प दिवस” के रूप में मनाने का आह्वान किया।
लोकतंत्र की तुलना रामराज्य से करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में भी समानता, भाईचारा, सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता आवश्यक है। उन्होंने यह विश्वास जताया कि भारत में रामराज्य की संकल्पना को साकार करना संभव है, यदि आमजन और नेतृत्व वर्ग ईमानदारी से प्रयास करें।
वक़्फ कानून पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि नया वक़्फ कानून तो लागू हो गया है, लेकिन देखना होगा कि देशभर में इसके क्रियान्वयन में एकरूपता आती है या नहीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहुसंख्यकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन अल्पसंख्यकों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत सरकार के मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” को दोहराते हुए सर्वसमावेशी विकास की वकालत की।
नीतीश कुमार पर टिप्पणी करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि वे उनके पुराने सहयोगी रहे हैं और उनकी राजनीतिक यात्रा को करीब से देखा है। उन्होंने नीतीश कुमार के शारीरिक स्वास्थ्य और बॉडी लैंग्वेज पर चिंता जताई और कहा कि मुख्यमंत्री पहले राजनीति के रोल मॉडल माने जाते थे, लेकिन अब उनकी शारीरिक स्थिति में गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि अब यह सवाल उठता है कि क्या वे राज्य की सेवा करने में सक्षम हैं। इस पर निर्णय लेना जदयू और उनके गठबंधन सहयोगियों की जिम्मेदारी है।
महाराष्ट्र में भाषाई हिंसा की घटना पर आरसीपी सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और यहां किसी भाषा के आधार पर भेदभाव या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र भारत का हिस्सा है, बिहार और यूपी भी भारत के ही अंग हैं। कोई यह न भूले कि वाणिज्य और उद्योग का संतुलन सबके सहयोग से ही संभव है।”
उन्होंने ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि देश की एकता और अखंडता को कोई खतरा न हो।
प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय महासचिव प्रियदर्शी अशोक, महासचिव संजय सिन्हा, लता सिंह सहित कई अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।




