अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। ऐतिहासिक नगरी राजगीर एक बार फिर से बिहार की राजनीति के केंद्र में उभर रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की 6 जून को हुई सभा के बाद से ही यहां राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता अब राजगीर की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी ने रफ्तार पकड़ ली है।
राहुल गांधी की रैली के बाद अब भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य 13 जून को राजगीर पहुंचेंगे। वे पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र संगठनात्मक दिशा-निर्देश देंगे। माना जा रहा है कि दीपांकर की यह यात्रा वामपंथी राजनीति को धार देने और सामाजिक न्याय, किसान-मजदूरों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने के उद्देश्य से हो रही है।
इसी क्रम में 29 जून को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान राजगीर में आयोजित “बहुजन भीम संकल्प समागम सम्मान समारोह” में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में आयोजित किया जाएगा, जिसके लिए प्रशासन से सशर्त अनुमति ली गई है। आयोजन की अनुमति अनुमंडल पदाधिकारी आशीष नारायण द्वारा प्रदान की गई है, जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि शर्तों का उल्लंघन करने पर अनुमति स्वतः रद्द मानी जाएगी और आयोजकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस समारोह में पार्टी के प्रदेश प्रभारी एवं जमुई सांसद अरुण भारती, अन्य वरिष्ठ नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल होंगे। चिराग पासवान के इस दौरे को पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने और संगठन को चुनावी मोड में लाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी के दौरे के तुरंत बाद राजगीर में होने वाले इन दो बड़े राजनीतिक कार्यक्रमों से साफ है कि राजनीतिक दल मगध क्षेत्र को लेकर गंभीर रणनीति बना रहे हैं। सभी दल अपने-अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने में जुटे हैं।
राजगीर, जो प्राचीन काल से ही राजनीतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है, एक बार फिर से बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने की ओर अग्रसर दिख रहा है।