अपना नालंदा संवाददाता
सिलाव ।सिलाव नगर पंचायत के वार्ड संख्या 09 स्थित कड़ाह डीह में मुख्य सड़क (मुर्गी फार्म से छठ घाट तक) के निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। सड़क की ढलाई से पहले ईंट सोलिंग का काम चल रहा है, लेकिन काम की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नई बन रही सड़क पर न तो रोलर चलाया गया है और न ही बालू की परत को सही ढंग से बिछाया जा रहा है। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि बरसात के मौसम में यह सड़क टूट सकती है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य में अनियमितता बरती जा रही है, जबकि कार्यस्थल पर कोई इंजीनियर या जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं रहता।
ग्रामीणों ने कहा कि काम रुकना नहीं चाहिए, लेकिन गुणवत्ता से भी समझौता नहीं होना चाहिए। यदि कार्य की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ तो वे इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों से करेंगे।
स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि नगर पंचायत द्वारा विकास कार्यों की योजना मनमाने ढंग से बनाई जाती है, जिसमें न तो वार्ड पार्षदों, न समाजसेवियों और न ही स्थानीय जनता से कोई राय ली जाती है। सड़क निर्माण से पहले नाले का निर्माण किया जाना चाहिए था, लेकिन नाले के लिए जगह छोड़े बिना ही सड़क बना दी गई है, जिससे भविष्य में जल निकासी को लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कुछ ही दिन पहले कड़ाह डीह से गिरियक पथ की ढलाई की गई थी, लेकिन अभी तक उसके किनारों पर मिट्टी नहीं भरी गई है। इससे सड़क के किनारे डेढ़ फीट गड्ढा बना हुआ है, जिससे हर दिन दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। वाहन सड़क से नीचे नहीं उतर पाते और न ही सड़क पर सही से पासिंग हो पाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि नगर अध्यक्ष बदल जाने के बावजूद काम का तरीका वही पुराना बना हुआ है। बाईपास पर एक मॉडर्न शौचालय का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन निर्माण पूर्ण होने के बाद भी अब तक उसे चालू नहीं किया गया है। साथ ही बाईपास पर न तो यात्री शेड है, न पीने के पानी की व्यवस्था और न ही सार्वजनिक बाथरूम, जिससे लोगों को चिलचिलाती धूप में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सिलाव के नेताओं के पास पूरे राज्य की ताले की चाबी भले हो, लेकिन खुद उनके क्षेत्र के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सिलाव नगर पंचायत का विकास कार्य धरातल पर कितना प्रभावी है।




