हरिओम कुमार
हरनौत (अपना नालंदा)। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण विगहा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। रविवार को एक दिवसीय यात्रा के दौरान वे जब अपने समर्थकों के साथ गांव की ओर बढ़े, तो प्रशासन ने गांव की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी और पुलिस बल तैनात कर प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी।

प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल यह जानना था कि मुख्यमंत्री के गांव में सरकारी योजनाओं का कितना लाभ लोगों तक पहुंचा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र का अपमान बताते हुए कहा कि बिहार के किसी भी गांव में जाने का उन्हें संवैधानिक अधिकार है, जिसे प्रशासन ने बाधित किया।
स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कल्याण विगहा निवासी जयेश सिंह सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें बिना किसी कारण के घरों में नजरबंद कर दिया गया। बाहर निकलने तक पर रोक लगा दी गई, जिससे कई लोगों को आवश्यक कार्यों में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि हो सकता है यह निर्णय मुख्यमंत्री के संज्ञान में न हो, लेकिन प्रशासन ने अपनी छवि बचाने के लिए यह कदम उठाया।
गांव के एक अन्य निवासी गुड्डु सिंह ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने कल्याण विगहा गांव में कई विकास कार्य कराए हैं, जिससे सभी वर्गों को लाभ मिला है। ऐसे में अगर कोई बाहर का व्यक्ति गांव आता भी, तो उसकी बातों से कुछ बिगड़ने वाला नहीं था। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब मुख्यमंत्री स्वयं अन्य गांवों में जाकर प्रचार-प्रसार करते हैं, तो कोई अन्य नेता उनके गांव में क्यों नहीं जा सकता?
इस पूरे मामले पर सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि प्रशांत किशोर का अधिकृत कार्यक्रम बिहारशरीफ स्थित श्रम कल्याण केंद्र में था। कल्याण विगहा में किसी कार्यक्रम की जानकारी पूर्व में नहीं दी गई थी। उन्होंने बताया कि प्रशांत किशोर सैकड़ों समर्थकों के साथ गांव की ओर बढ़ रहे थे, जिससे विधि-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका थी। इसी कारण प्रशासन ने गांव में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी।
घटना को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है, और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध कदम बताया जा रहा है।




