हमारी रफ़्तार, उनकी मौत — सड़क पर रेंगते जीवों के लिए खतरा बनी तेज़ ड्राइविंग

Written by Subhash Rajak

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संजय कुमार
बिहारशरीफ(अपना नालंदा)।रफ़्तार का शौक भले ही इंसानों को रोमांचित करता हो, लेकिन यह शौक उन निरीह जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है जो ज़मीन पर रेंगते या चलते हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो धरती पर चलने का अधिकार केवल इंसानों को ही है।

बरसात में बढ़ जाती है ज़मीनी जीवों की मौतें
वर्षा ऋतु की शुरुआत होते ही ज़मीनी जीव—जैसे गोह (मॉनिटर लिजार्ड), सांप, नेवला, कुत्ता, सियार आदि—अपने बिलों या झाड़ियों से बाहर निकलते हैं। गर्मी से राहत पाने, ताज़ी हवा लेने या शिकार की तलाश में ये जीव अक्सर सड़क पार करते समय तेज़ रफ़्तार वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। कई बार घायल होकर तड़पते हैं, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं।

गौरैया विहग फाउंडेशन की चेतावनी
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत गौरैया विहग फाउंडेशन के संस्थापक राजीव रंजन पाण्डेय ने बताया कि वर्षभर सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों जीवों की जान जाती है। यह न सिर्फ उन जीवों की हत्या के समान है, बल्कि पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए भी घातक सिद्ध होता है।

उन्होंने कहा, “जरूरत इस बात की है कि हम अपनी रफ़्तार पर नियंत्रण रखें और सड़क पार कर रहे जीवों को जीवन का अधिकार दें।”

क्या कर सकते हैं हम?

सड़क पर वाहन चलाते समय गति कम रखें, खासकर ग्रामीण या हरियाली वाले क्षेत्रों में।

बारिश के दिनों में सतर्कता और संवेदनशीलता बढ़ाएं।

घायल जीव दिखें तो वन विभाग या पशु सहायता केंद्र से संपर्क करें।

प्रकृति केवल इंसानों की नहीं है। इसका प्रत्येक जीव हमारे जैसे ही जीवन का अधिकार रखता है। इसलिए अगली बार जब आप वाहन स्टार्ट करें, तो याद रखें — आपकी रफ़्तार किसी की जान भी ले सकती है।

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