जितेंद्र प्रसाद नगरनौसा।(अपना नालंदा)।पिछले सात दिनों से नगरनौसा प्रखंड में हो रही लगातार बारिश और तेज आंधी ने क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है। मौसम की बेरुखी से प्याज, मक्का और गेहूं की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों पर पानी फिर गया है।
वहीं सब्जी उत्पादकों की हालत भी खराब हो गई है।लगातार आंधी-पानी से बिगड़ा हालशनिवार की रात आई तेज आंधी और बारिश से किसान अभी उबरे भी नहीं थे कि सोमवार की दोपहर एक बार फिर मौसम ने विकराल रूप धारण कर लिया। दोपहर करीब 3 बजकर 10 मिनट पर आसमान में बादल छा गए और कुछ ही देर में अंधेरा घिर गया।
तेज हवाओं के साथ धूल भरी आंधी चली और फिर मूसलधार बारिश शुरू हो गई, जो शाम 5 बजे तक रुक-रुककर होती रही। इस दौरान खेतों में खड़ी फसलें या तो गिर गईं या पानी में डूब गईं।प्याज की तैयार फसल जलभराव में बर्बादनगरनौसा प्रखंड में इस वर्ष रबी मौसम में लगभग 125 से 150 हेक्टेयर में प्याज की खेती की गई थी। फसल पूरी तरह से पक चुकी थी और कई किसान इसकी कटाई में जुटे थे।
लेकिन लगातार बारिश के कारण खेतों में जलभराव हो गया और तैयार प्याज की फसल सड़ने लगी।मोनियमपुर गांव के किसान बाल्मिकी प्रसाद ने बताया कि, “बार-बार आ रही आंधी और पानी से खेतों में तैयार प्याज सड़ गया है। अब इसे उचित दाम पर बेचना असंभव है। भीगे प्याज का भंडारण नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह जल्दी खराब हो जाएगा।”मक्का की फसल धराशायी, नुकसान अपारप्रेमन बिगहा गांव के किसान राजेश कुमार ने बताया कि तेज हवाओं और बारिश की वजह से अधिकतर खेतों में मक्के की फसल गिर चुकी है।
फसल पर दाने भी आ चुके थे, लेकिन अब गिर चुकी फसल को बचा पाना संभव नहीं। कुछ किसान इसे पशुओं के चारे के रूप में उपयोग करने की सोच रहे हैं। हालांकि जिन खेतों में पौधे अभी छोटे थे, उन्हें अपेक्षाकृत कम नुकसान हुआ है।सब्जी उत्पादक भी परेशान, रोगों का खतरानगरनौसा प्रखंड फल और सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हालिया खराब मौसम ने सब्जी उत्पादकों को भी नहीं बख्शा।
रामचक गांव के अनुज कुमार ने बताया कि बेल वाली सब्जियों के पौधे आंधी में उलझकर टूट चुके हैं। बारिश से लगे फल-फूल झड़ गए हैं। अब यदि तेज धूप निकलती है तो फसलों में फफूंद और अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है।गेहूं की कटाई रुकी, गुणवत्ता पर असरनगरनौसा में रबी सीजन में सबसे अधिक गेहूं की खेती की जाती है।
इस बार भी फसल पूरी तरह से पक चुकी है, लेकिन कटाई अभी तक 50-60 प्रतिशत ही हो पाई है। खेतों की मिट्टी गीली हो चुकी है और बालियां भी भीग गई हैं।गढ़ियापर गांव के किसान जितेंद्र प्रसाद ने बताया कि, “अब जब तक खेत सूखेंगे नहीं, तब तक हार्वेस्टर से कटाई संभव नहीं है। देर होने पर गेहूं की गुणवत्ता खराब होगी और मंडियों में उसका उचित मूल्य नहीं मिलेगा।
“किसानों की मांग: हो मुआवजे की घोषणाकिसानों का कहना है कि मौसम की इस मार ने उनकी साल भर की मेहनत और पूंजी को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि खेतों का सर्वे कराकर नुकसान का आकलन किया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें।




