संजय कुमार बिहारशरीफ(अपना नालंदा)।राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहे नालंदा जिले की धरती पर एक नया सामाजिक और राजनीतिक विमर्श तेजी से उभर रहा है। केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक की लंबी पारी खेलने वाले नालंदा के लाल नीतीश कुमार अब राजनीतिक संध्या की ओर अग्रसर हैं।
हालिया घटनाक्रमों से यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि गिरते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते अब वे स्वयं को मुख्यमंत्री पद के उत्तरदायित्वों के लिए सक्षम महसूस नहीं कर रहे हैं।इसी परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण सवाल तेजी से उठ खड़ा हुआ है—नीतीश कुमार के बाद कुर्मी समाज का नेतृत्व कौन करेगा?



यह प्रश्न इसलिए भी प्रासंगिक हो गया है क्योंकि नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी अपने समाज से किसी अन्य नेता को आगे बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल नहीं की।कुर्मी समाज इस विषय को लेकर गहराई से चिंतित है। समाज के कई नेताओं ने समय-समय पर समाज को एकजुट करने के लिए बड़े आयोजनों की पहल की, लेकिन व्यापक समर्थन के अभाव में नेतृत्व का स्पष्ट उत्तराधिकारी सामने नहीं आ सका।
इसी कड़ी में 11-12 फरवरी 2025 को राजगीर स्थित कन्वेंशन हॉल में दो दिवसीय कुर्मी समागम सह चेतना शिविर का आयोजन किया गया था। आयोजकों का दावा था कि देशभर से 400 से अधिक प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे, लेकिन हकीकत यह रही कि शिविर में महज 10% सीटें ही भर सकीं।
कुर्सियों की खाली पंक्तियां समाज की एकता पर गंभीर सवाल छोड़ गईं।इसके बाद 19 फरवरी 2025 को पटना के मिलर स्कूल मैदान में कुर्मी एकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली के मुख्य आयोजक भाजपा के अमनौर विधायक कृष्ण कुमार मंटू पटेल थे। लेकिन इस रैली में भी मात्र ढाई से तीन हजार लोग ही जुट पाए।
नतीजा, एक बार फिर समाज अपने संभावित उत्तराधिकारी की तलाश में अधूरा रह गया।हालांकि, 20 अप्रैल को बिहारशरीफ के श्रम केंद्र मैदान में इंजीनियर प्रणव प्रकाश द्वारा आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान ने समाज में नई ऊर्जा का संचार कर दिया। सॉफ्टवेयर इंजीनियर और समाजसेवी प्रणव प्रकाश ने भीषण गर्मी के बावजूद गांव-गांव जाकर शिवाजी महाराज के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया।
उनके आह्वान पर इस आयोजन में लगभग 25,000 लोगों की रिकॉर्ड भीड़ उमड़ी—जो बीते 31 वर्षों में पहली बार देखा गया ऐसा दृश्य था।इस अद्वितीय सफलता ने न केवल नालंदा बल्कि पटना तक चर्चा का विषय बन गई। समाज के अंदरूनी हलकों में अब यह विश्वास बनने लगा है कि प्रणव प्रकाश ही नीतीश कुमार के वास्तविक उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
समाज में उनकी बेदाग छवि और संगठन क्षमता उनकी मजबूत पहचान बन रही है।रैली के मंच से प्रणव प्रकाश ने कहा,”शिवाजी महाराज ने सत्ता के विकेंद्रीकरण के जरिए समाज के अंतिम पंक्ति तक लाभ पहुंचाया। उनकी अष्टप्रधान नीति आज भी आदर्श है।
“उन्होंने इस अभियान को पूरे बिहार में ले जाने की घोषणा करते हुए सरकार से पटना के मैरिन ड्राइव पर “स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस” के निर्माण की भी मांग की, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर देश की सबसे बड़ी प्रतिमा हो।इस रैली के माध्यम से समाज को संगठित करने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक संभावित नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। कुर्मी समाज में अब यह आवाज़ बुलंद हो रही है—नीतीश के बाद, प्रणव ही भविष्य हैं।





नालंदा की आवाज को आपने बेहतर ढंग से अपने न्यूज में प्रकाशित किया है I छत्रपति शिवाजी सामाजिक समरसता अभियान के नायक श्री प्रणव प्रकाश के द्वारा समाज के लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया है I उनकी कड़ी मेहनत से यह कार्यक्रम सफल हुआ है I
इस समाचार के लिए headline बहुत ही स्वागत योग्य है I