रंजीत कुमार
बिहारशरीफ (अपना नालंदा)।नालंदा जिला मुख्यालय स्थित नालंदा महिला कॉलेज में मंगलवार को छात्राओं ने बढ़े हुए नामांकन शुल्क के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर अनावश्यक और मनमाने ढंग से शुल्क वसूलने का आरोप लगाते हुए पुलपर भराव मार्ग पर कई घंटे तक सड़क जाम किया, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया।
छात्राओं का कहना था कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार सत्र 2025–2029 के नामांकन हेतु एससी, एसटी एवं सामान्य वर्ग की छात्राओं से केवल ₹25 प्रोसेसिंग शुल्क निर्धारित किया गया है। लेकिन नालंदा महिला कॉलेज में नामांकन के नाम पर
प्रायोगिक (प्रैक्टिकल) विषयों के लिए ₹2480 तथा
गैर-प्रायोगिक (नॉन-प्रैक्टिकल) विषयों के लिए ₹2380 वसूले जा रहे हैं।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए उनसे 5–6 गुना अधिक शुल्क वसूल रहा है। जब छात्राओं ने इस पर आपत्ति जताई तो कॉलेज प्रशासन की ओर से यह जवाब मिला कि कॉलेज की वित्तीय स्थिति खराब है, इसलिए अतिरिक्त राशि ली जा रही है।
छात्राओं ने विरोध करते हुए कहा:
“यदि इतनी अधिक राशि वसूली जाएगी तो सरकारी कॉलेज में नामांकन का क्या लाभ? सरकार एक ओर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर हम गरीब छात्राओं पर आर्थिक बोझ डाल रही है।”
छात्राओं की मांग है कि वसूल की गई अतिरिक्त राशि तुरंत वापस की जाए।
प्राचार्य का पक्ष
नालंदा महिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जितेंद्र रजक ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कॉलेज ने पहले भी परीक्षा शुल्क या अन्य किसी मद में अतिरिक्त राशि नहीं वसूली है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया था कि एससी, एसटी एवं सामान्य वर्ग की छात्राओं से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा और इसके बदले सरकार कॉलेज को क्षतिपूर्ति राशि देगी।

प्राचार्य ने बताया कि:
अब तक कॉलेज की ₹5 करोड़ 74 लाख 51 हजार 167 रुपए की क्षतिपूर्ति राशि बकाया है।
कई बार संबंधित विभाग को पत्राचार कर भुगतान की मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है।
यदि सरकार द्वारा बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाता है, तो छात्राओं से ली गई सभी अतिरिक्त राशि वापस कर दी जाएगी।