इस्लामपुर में मशाल खेल-2024 बना खानापूरी का जरिया, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप

Written by Subhash Rajak

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मोहम्मद जियाउद्दीन
इस्लामपुर (अपना नालंदा)।राज्य सरकार द्वारा बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से प्रखंड स्तर पर आयोजित “मशाल खेल-2024 प्रतिभा खोज प्रतियोगिता” इस्लामपुर में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की लापरवाही और उदासीनता के कारण खानापूरी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। प्रतियोगिता आयोजन में न तो बच्चों की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा गया और न ही शासन की मंशा के अनुरूप व्यवस्था की गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रतियोगिता के आयोजन हेतु राज्य सरकार द्वारा इस्लामपुर प्रखंड को ₹2,31,200 की राशि आवंटित की गई थी। इस राशि से चार दिवसीय खेल आयोजन, पुरस्कार वितरण (नकद राशि, शील्ड और बैच), और आवश्यक खेल सामग्री की खरीदारी की जानी थी। लेकिन आयोजन के पहले दिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने उद्घाटन कर खानापूरी की और पूरे कार्यक्रम के दौरान अनुपस्थित रहे।

सूत्रों के अनुसार, उद्घाटन अवसर पर मौजूद लोगों के लिए कम संख्या में और घटिया नाश्ता परोसा गया। खेल मैदान में न तो पेयजल, न शौचालय, न रस्सी और न ही खेल उपकरणों की समुचित व्यवस्था की गई। इतना ही नहीं, मैदान में पोल गाड़ने और चूना छिड़काव का कार्य भी बच्चों से ही करवाया गया, जो अत्यंत निंदनीय है।

खेल सामग्री की खरीदारी नहीं कर प्रखंड के कई उच्च विद्यालयों से सामग्री मंगवा ली गई और शेष राशि के गबन की आशंका जताई जा रही है। टेंट भी इतने कमजोर लगाए गए थे कि मामूली हवा में उड़ गए।

प्रतियोगिता के दौरान एक दुर्घटना भी सामने आई, जिसमें उत्क्रमित उच्च विद्यालय चौरमा की छात्रा रम्भा कुमारी, जो कबड्डी खेल रही थी, गंभीर रूप से घायल हो गई और उसका पैर टूट गया। उसे आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां अपने खर्चे पर इलाज कराना पड़ा। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने न तो घायल छात्रा की सुध ली, न ही किसी तरह की मदद की।

राजद नेता एवं नगर परिषद अध्यक्ष उपेन्द्र प्रसाद यादव ने इस मामले को गंभीर बताते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भूमिका की जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी का रवैया न सिर्फ शिक्षा और खेल भावना के खिलाफ है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। उन्होंने घायल छात्रा के इलाज का खर्च देने की भी मांग की है।

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में बच्चों के साथ इस प्रकार का अन्याय दोहराया न जाए।

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