अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड अंतर्गत कोचरा कुशवाहा भवन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देश पर नालंदा जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं तालुका विधिक सेवा समिति, हिलसा के संयुक्त तत्वावधान में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

यह कार्यक्रम नालंदा के जिला जज अमिताभ चौधरी, प्राधिकार सचिव राजेश कुमार गौरव, हिलसा तालुका विधिक सेवा समिति के एडीजे सह अध्यक्ष आलोक कुमार पांडेय एवं एसडीजेएम सह सचिव शोभना स्वेतांकी के संयुक्त आदेशानुसार आयोजित हुआ। शिविर का संचालन पैनल अधिवक्ता विजय कुमार एवं हिलसा लीगल सर्विस सेंटर में प्रतिनियुक्त पीएलवी आलोक कुमार के कुशल नेतृत्व में किया गया।
शिविर का विषय “बिहार पीड़ित प्रतिकर योजना 2014 एवं इसके अद्यतन संशोधन” रहा। परिचय सत्र के उपरांत पीएलवी आलोक कुमार ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य अपराध पीड़ितों को वित्तीय और मानसिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना पीड़ितों के पुनर्वास और पुनर्प्राप्ति में मदद करती है तथा उन्हें मुआवजा देती है जो अपराध के कारण नुकसान या चोट के शिकार हुए हों।
पैनल अधिवक्ता विजय कुमार ने बताया कि यह योजना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357A के तहत बनाई गई है। इसे राज्य सरकार बजटीय आवंटन, न्यायालयों द्वारा लगाए गए जुर्माने, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष से अनुदान और अन्य स्रोतों से संचालित करती है।
इस योजना को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा लागू किया जाता है। प्रत्येक जिले में एक कोष स्थापित किया गया है, जिससे तत्काल चिकित्सा सहायता भी दी जाती है। मुआवजे की राशि तय करते समय अपराध की गंभीरता, चोट की प्रकृति, चिकित्सा खर्च, शिक्षा और रोजगार के नुकसान जैसे बिंदुओं पर विचार किया जाता है।
बिहार पीड़ित प्रतिकर योजना में 2018 और 2019 में हुए संशोधनों पर भी प्रकाश डाला गया।
2018 के संशोधन में बलात्कार और एसिड अटैक पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि 3 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई।
यदि पीड़ित की उम्र 14 वर्ष से कम है, तो यह राशि 50% तक बढ़ाई जा सकती है।
एसिड अटैक के मामले में यदि चेहरा या दृष्टि 80% या उससे अधिक क्षतिग्रस्त हो, तो पीड़ित को जीवनभर या उपयुक्त अवधि तक 10,000 रुपये मासिक सहायता देने का प्रावधान है।
2019 के संशोधन में योजना के भाग-2 को जोड़ा गया, जो यौन उत्पीड़न या अन्य अपराधों की महिला पीड़ितों के लिए समर्पित है। एसिड अटैक की गंभीरता के आधार पर मुआवजा 3 लाख से लेकर 8 लाख तक हो सकता है।
ट्रायल कोर्ट द्वारा मुआवजे की सिफारिश की जा सकती है और जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दावा सत्यापन के बाद राशि पीड़ित के बैंक खाते में स्थानांतरित करनी होती है। पीड़ितों को तत्काल निःशुल्क प्राथमिक चिकित्सा भी दी जाती है।
शिविर में महिलाओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं:
कुमारी गीता सिन्हा, रीना देवी, दौलती देवी, पुनम कुमारी, नीतू देवी, गिरानी देवी, सोनी कुमारी, इंदू देवी, रानी देवी, नूतन देवी, शांति देवी, रूबी वर्मा, माधुरी देवी, खुशबू देवी आदि।





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