अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ । जहां शिक्षा को उत्सव की तरह मनाया जाता है, वहां समाज की आत्मा मुस्कराती है। ऐसा ही एक दृश्य मंगलवार को राजगीर प्रखंड के अंडवश गांव स्थित मध्य विद्यालय में देखने को मिला, जहाँ शिक्षक एवं शिक्षा सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि शिक्षक-समर्पण और सामाजिक परिवर्तन का जीवंत उदाहरण भी।
पूर्व IAS वीरेंद्र कुमार की भावुक वापसी
समारोह के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वीरेंद्र कुमार स्वयं इसी विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। मंच से अपने भावुक संबोधन में उन्होंने कहा, “यह विद्यालय मेरी जड़ों से जुड़ा है। जिस गाँव ने मुझे दिशा दी, आज उसी गाँव के बच्चों को सम्मानित करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।” उनके शब्दों ने न सिर्फ बच्चों को प्रेरित किया बल्कि पूरे गाँव में गर्व की लहर दौड़ा दी।
टॉपर्स को मिला मान, मेहनत को मिली पहचान
मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा 2025 में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पदक, प्रमाण-पत्र और स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। 457 अंक से अधिक प्राप्त करने वाले टॉपर्स को विशेष रूप से मंच पर बुलाकर सराहा गया, वहीं 400 से ऊपर अंक लाने वाले बच्चों को भी तालियों के साथ प्रोत्साहित किया गया। बच्चों की मुस्कराहटें बता रही थीं कि यह केवल पुरस्कार नहीं, आत्मविश्वास की पहली उड़ान है।
शिक्षकों के समर्पण को भी मिला आदर
विद्यालय के उन शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया, जिनके मार्गदर्शन और मेहनत से ग्रामीण क्षेत्र के छात्र राज्य स्तर पर पहचान बना रहे हैं। सामाजिक विज्ञान, गणित, विज्ञान और संगीत जैसे विषयों में योगदान देने वाले शिक्षकों को मंच से नमन किया गया।
बृजेश भूषण ने शुरू की परंपरा
विद्यालय के पूर्व प्रधानाध्यापक बृजेश भूषण ने बताया कि 2021 में अपने कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही उन्होंने यह निर्णय लिया था कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेगी। उन्होंने कहा, “हमारा सपना है कि गाँव का हर बच्चा आत्मबल से आगे बढ़े, और यह समारोह उसी सोच की परिणति है।”
संगीत शिक्षा को मिली नई दिशा
विद्यालय की प्राचार्या डॉ. रेखा सिन्हा ने बताया कि अब शिक्षा का दायरा केवल शैक्षणिक विषयों तक नहीं रहा। बच्चों को कला, संस्कृति और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी दी जा रही है। विद्यालय में संगीत शिक्षा के लिए आवश्यक सभी वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए गए हैं और बच्चों की रचनात्मकता को दिशा दी जा रही है।
गाँव की मिट्टी से उठती उम्मीदें
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावकों, शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की उपस्थिति रही। बच्चों की सफलता पर बजती तालियों ने साबित कर दिया कि जब समाज शिक्षा को अपनाता है, तो हर सपना साकार हो सकता है।
यह समारोह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक संकल्प था—हर बच्चे को आगे बढ़ाने का, हर शिक्षक को सम्मान देने का, और हर गाँव को शिक्षित समाज में बदलने का। जब शिक्षा को सम्मान मिलेगा, तभी देश प्रगति की राह पर मजबूती से अग्रसर होगा।




