अपना नालंदा संवाददाता
नगरनौसा ।किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ सरलता से दिलाने और कृषि व्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा ‘फार्मर आईडी’ जनरेट करने की योजना शुरू की गई है। फिलहाल यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नगरनौसा प्रखंड के दो राजस्व गांव—कैला और नगरनौसा में चलाई जा रही है।
हालांकि, आईडी जनरेट करने की प्रक्रिया में किसानों को कई प्रकार की तकनीकी और दस्तावेजी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे प्रोजेक्ट की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है।
बड़ी बाधा: प्लॉट संख्या और उपनाम में विसंगति
सर्वेयरों के अनुसार, अधिकांश किसानों के जमीन रसीद में प्लॉट संख्या की जगह ‘शून्य’ अंकित है, जो फार्मर आईडी जनरेट करने में सबसे बड़ी तकनीकी बाधा बन रही है। इसके अलावा आधार कार्ड और रसीद में किसानों का नाम या उपनाम अलग-अलग होने की वजह से दस्तावेज मिलान में दिक्कत हो रही है, जिससे प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
अब तक सिर्फ 110 किसानों की ही बनी आईडी
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, नगरनौसा प्रखंड के दोनों चयनित गांवों में कुल 910 किसानों की फार्मर आईडी बननी है। इनमें से 230 किसानों का ई-केवाईसी पूरा कर लिया गया है, लेकिन 25 अप्रैल तक केवल 110 किसानों की ही आईडी जनरेट हो सकी है।
किसानों को अब कार्यालयों का करना होगा चक्कर
प्रशासनिक जानकारी के अनुसार, जिन किसानों की जमीन रसीद में प्लॉट संख्या ‘शून्य’ अंकित है, उन्हें पहले अंचल कार्यालय जाकर परिमार्जन कराना होगा, तभी उनकी फार्मर आईडी जनरेट हो सकेगी। वहीं, आधार और रसीद में नाम या उपनाम में अंतर होने पर किसानों को आधार में सुधार कराना अनिवार्य होगा।
प्रशासनिक पहल की जरूरत
स्थानीय किसानों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो किसान फार्मर आईडी जैसी महत्वपूर्ण योजना से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने संबंधित विभाग से प्रक्रिया को सरल बनाने और गांव स्तर पर ही सुधार की व्यवस्था कराने की मांग की है।




