“राजगीर को ‘राजगृह’ नाम देने की मांग तेज़: ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों का दिया जा रहा हवाला”

Written by Sanjay Kumar

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अपना नालंदा संवाददाता
राजगीर।गया का नाम ‘गया जी’ किए जाने के बाद अब राजगीर का नाम बदलकर ‘राजगृह’ किए जाने की मांग एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगी है। यह मांग ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आधारों पर की जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्राचीन काल में राजगीर को ‘राजगृह’ नाम से ही जाना जाता था। यह मगध साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी और बौद्ध, जैन व सनातन धर्मों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल रहा है।

बौद्ध ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण उपदेश यहीं ‘राजगृह’ में दिए थे। जैन धर्म के अनुसार यह 20वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ की जन्मभूमि और 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रथम देशना स्थली भी है। वैदिक ग्रंथों – ऋगवेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय उपनिषद, वायु पुराण, महाभारत, वाल्मीकि रामायण आदि में भी इस नगर का उल्लेख ‘राजगृह’ के रूप में मिलता है।

‘राजगृह’ नाम को पुनः स्थापित करने की उठी आवाज़

नाम परिवर्तन के पक्षधर मानते हैं कि ‘राजगृह’ नाम न केवल ऐतिहासिक रूप से अधिक प्रामाणिक है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक गरिमा और धार्मिक महत्ता को भी दर्शाता है। उनके अनुसार वर्तमान नाम ‘राजगीर’ का कोई ऐतिहासिक या धार्मिक आधार नहीं है, जबकि ‘राजगृह’ नाम सभी धर्मग्रंथों में विद्यमान है।

पंकज कुमार, मुखिया प्रतिनिधि (नीरपुर पंचायत) का कहना है कि “राजगृह नाम इस नगर की मूल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। इस क्षेत्र के बौद्ध और जैन इतिहास से जुड़े तमाम ग्रंथों में भी इसी नाम का उल्लेख है।”

डाॅ. अनिल कुमार, वरिष्ठ वार्ड पार्षद कहते हैं, “भगवान बुद्ध और भगवान महावीर दोनों का गहरा संबंध राजगृह से रहा है। यह नाम हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है और नई पीढ़ी को उनके इतिहास से जोड़ सकता है।”

सिद्धयानंद सागर, होटल व्यवसायी, का कहना है कि “‘राजगृह’ नाम न केवल ऐतिहासिक रूप से सटीक है, बल्कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह नाम आध्यात्मिक आस्था को और सशक्त करता है।”

महेन्द्र यादव, वरिष्ठ पार्षद, ने कहा, “राजगृह का अर्थ होता है – राजाओं का गृह या राजकीय नगर। यह नाम प्राचीन परंपरा और धर्मग्रंथों में स्पष्ट रूप से वर्णित है। इसे बहाल किया जाना चाहिए।”

सुधीर कुमार पटेल, पूर्व प्रखंड प्रमुख, के अनुसार “नाम परिवर्तन एक सांस्कृतिक पुनरुत्थान है। इससे न केवल ऐतिहासिक पहचान बहाल होगी, बल्कि भावी पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में मदद मिलेगी।”

गोलू यादव, युवा समाजसेवी, ने कहा कि “‘राजगृह’ नाम धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश-दुनिया में इस नगर की गरिमा को भी बढ़ा सकता है।”

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