अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। राजगीर स्थित महाकवि जयशंकर प्रसाद स्मृति-भवन बहुद्देशीय सेवा संस्थान की आमसभा रविवार को वर्षों बाद आयोजित की गई, जिसमें एक नई कार्यकारिणी समिति के गठन की घोषणा की गई। इस मौके पर महाकवि जयशंकर प्रसाद की परपौत्री डाॅ. कविता प्रसाद ने पूर्व कमिटी को भंग कर नई कमिटी का गठन किया, जिसकी स्थानीय नागरिकों और पूर्व सदस्यों ने कड़ा विरोध किया है।
स्थानीय विरोध और आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नई कमिटी में उन व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिनका संस्थान के निर्माण या संचालन से कोई वास्ता नहीं रहा है। विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि महाकवि की परपौत्री इस भवन को अपने निजी उद्देश्य, जैसे एनजीओ केन्द्र के रूप में उपयोग करने की मंशा रखती हैं, जो संस्था की मूल भावना और गरिमा के विरुद्ध है।
नई कार्यकारिणी का गठन
नई घोषित कार्यकारिणी के संरक्षक मंडल में श्री निवास को प्रधान संरक्षक और कृष्णचंद्र आर्य को मुख्य संरक्षक बनाया गया है। संरक्षक मंडल में 12 अन्य सदस्य भी शामिल हैं, जिनमें पूर्व कुलपति प्रो. नन्दकिशोर शाह, अधिवक्ता विजय कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार पत्रकार, राजमणि गुप्ता, विद्या रानी गुप्ता जैसे नाम शामिल हैं।
डाॅ. कविता प्रसाद को अध्यक्ष, किरण कुमारी एवं चंदन कुमार को उपाध्यक्ष, रामचन्द्र प्रसाद गुप्ता को सचिव, बेबी गुप्ता एवं जितेन्द्र कुमार को उपसचिव, और धर्मानन्द आर्य को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकारिणी सदस्यों में पवन कुमार, शंभु कुमार, घनश्याम प्रसाद गुप्ता, केशर प्रसाद, मनोज कुमार गुप्ता, चंदन कुमार वती और अनिल कुमार गुप्ता को शामिल किया गया है।
बिना सहमति नाम जोड़ने का आरोप
कई लोगों ने आरोप लगाया है कि उनकी सहमति के बिना उनके नाम कमिटी में जोड़े गए हैं। कृष्णचंद्र आर्य, विजय कुमार गुप्ता, संजय कुमार आर्य, धर्मानन्द आर्य, हनुमान प्रसाद मोदनवाल सहित अन्य व्यक्तियों ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि बैठक विधिवत नहीं हुई, और न ही उन्हें आमंत्रित किया गया। यह प्रक्रिया संस्थान की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़े करती है।
संस्थान के प्रस्ताव और योजनाएं
संस्थान द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार महाकवि जयशंकर प्रसाद को मरणोपरांत भारत रत्न, पद्मविभूषण, तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग के लिए तदर्थ समिति गठित की गई है। साथ ही, राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में उनकी जयंती (जनवरी-फरवरी 2026, माघ शुक्ल दशमी) के अवसर पर व्याख्यान माला सह सम्मान समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
इसके अतिरिक्त, भवन परिसर में महाकवि की आदमकद प्रतिमा, शोध संस्थान, पुस्तकालय, और संग्रहालय की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया है। उनके कृतित्व पर आधारित लघु शोध, फिल्म निर्माण, नाटकों का मंचन, और स्मृति पत्रिका के प्रकाशन की योजना भी बनाई गई है।
विवाद के चलते संस्थान के भविष्य की दिशा को लेकर संशय बना हुआ है। स्थानीय लोगों और विरोधी पक्षों की मांग है कि संस्थान के संचालन में पारदर्शिता लाई जाए और सभी हितधारकों को विश्वास में लेकर कार्य किया जाए।