संकल्प और मेहनत की मिसाल: चंद्रलेखा मौर्या बनीं न्यायिक दंडाधिकारी | Nalanda news

Written by Subhash Rajak

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नूरसराय (नालंदा)। मजबूत इरादे, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी सफलता हासिल की जा सकती है। इसी का उदाहरण बनीं नूरसराय प्रखंड के परासी गांव की बेटी चंद्रलेखा मौर्या, जिन्होंने BPSC 32वीं न्यायिक परीक्षा में अपने पहले ही प्रयास में 40वीं रैंक हासिल कर न्यायिक दंडाधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया। उनकी इस कामयाबी से गांव में उत्सव जैसा माहौल है। परिजनों और ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया और चंद्रलेखा के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

ननिहाल में पली-बढ़ी, बचपन से ही थी मेधावी

चंद्रलेखा मौर्या की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननिहाल में हुई, जहां से ही उन्होंने पढ़ाई के प्रति अपनी लगन को मजबूत किया। पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी चंद्रलेखा ने हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मेहनत की और पहली ही बार में बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर मिसाल कायम की।

मां बनी प्रेरणा, संघर्ष ने दिलाई सफलता

अपनी सफलता का श्रेय चंद्रलेखा ने अपनी मां सुधा देवी को दिया। उन्होंने कहा, “मेरी मां मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में मेरा साथ दिया और मुझे आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।” चंद्रलेखा ने यह भी बताया कि उनके इस सफर में कई कठिनाइयां आईं, लेकिन मेहनत, आत्मविश्वास और ईमानदारी से की गई पढ़ाई ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।

सिर्फ पढ़ाई नहीं, शौक भी जरूरी

पढ़ाई के साथ-साथ चंद्रलेखा को संगीत सुनना, शतरंज खेलना और कार्टून देखना पसंद है। उनका मानना है कि अध्ययन के साथ रुचियों को बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि इससे मानसिक ताजगी मिलती है और पढ़ाई में मन लगा रहता है।

मंत्री श्रवण कुमार समेत कई गणमान्य लोगों ने दी बधाई

चंद्रलेखा की सफलता पर बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा, जदयू के कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष विजय प्रकाश, वरिष्ठ जदयू नेता राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सुनील दत्त, संजय कुमार और जितेंद्र कुमार समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी उन्हें बधाई दी।

युवाओं के लिए बनीं प्रेरणा

चंद्रलेखा मौर्या की यह सफलता सिर्फ उनके परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे परासी गांव और नालंदा जिले के लिए गर्व की बात है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि अगर संकल्प मजबूत हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

चंद्रलेखा अब न्यायिक सेवा में अपनी नई जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं, और उनकी सफलता कई युवा aspirants के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।

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