श्री बड़ी दुर्गा मंदिर में चैती छठ दुर्गा पूजा, प्राण प्रतिष्ठा के बाद उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ। चैती छठ दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर शुक्रवार को श्री बड़ी दुर्गा मंदिर, पुल, बिहारशरीफ में मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। मां दुर्गा के पट खुलते ही श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिला और पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण छा गया।

विधिपूर्वक संपन्न हुआ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान

मंदिर परिसर में बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर पुल पर शुक्रवार सुबह 6:20 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और विधिवत अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस आयोजन को भव्य रूप देने के लिए स्थानीय श्रद्धालुओं और पूजा समिति के सदस्यों ने पूरे समर्पण और आस्था के साथ भाग लिया।

पांच वर्षों से होती आ रही चैती दुर्गा पाठ की परंपरा

बीरबल संत पूजा समिति के अध्यक्ष परमेश्वर कुमार ने बताया कि पिछले पांच वर्षों से चैती दुर्गा पाठ का आयोजन किया जा रहा था, लेकिन इस वर्ष पहली बार सभी मोहल्लेवासियों और पूजा समिति के प्रयास से मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया।

पूजा का उद्देश्य और आध्यात्मिक संदेश

समारोह में वरिष्ठ श्रद्धालु देवदत्त पांडे ने बताया कि इस पूजा का मुख्य उद्देश्य लोककल्याण, समाज में सद्भाव, भक्ति, सनातन धर्म का प्रचार और आपसी भाईचारे का संदेश देना है।

भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु

पूरे आयोजन के दौरान मां दुर्गा के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन कर भक्तिमय वातावरण बना दिया।

इस शुभ अवसर पर बीरबल संत पूजा समिति के अध्यक्ष परमेश्वर कुमार, मंत्री कंचन कुमार, उपाध्यक्ष मनोज कुमार, शैलेश कुमार, महासचिव राजवर्धन, संजय कुमार, बबलू कुमार, पंकज कुमार सहित सैकड़ों भक्तों ने मां दुर्गा की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

पूरे इलाके में दिखी धार्मिक आस्था की झलक

पूजा समारोह के दौरान मंदिर क्षेत्र को आकर्षक रूप से सजाया गया था, और मंदिर समिति द्वारा भव्य भोग-प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं ने चैती दुर्गा मां की पूजा-अर्चना कर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की।

यह आयोजन पूरे बिहारशरीफ में भक्ति और श्रद्धा का केंद्र बना रहा और भक्तगण मां दुर्गा के आशीर्वाद से कृतार्थ होते रहे।

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