जातीय सीमाएं तोड़, संविधान हाथ में लेकर परिणय सूत्र में बंधे कांग्रेस नेता मंजीत आनन्द साहू

Written by Sanjay Kumar

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राजेश कुमार चौधरी
हिलसा (अपना नालंदा)। बिहार युवा कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और समाजसेवी मंजीत आनन्द साहू ने जातीय बंधनों को तोड़ते हुए सामाजिक कार्यकर्ता आकांक्षा चित्रांश से विवाह रचाकर सामाजिक समरसता का सशक्त संदेश दिया है। यह विवाह पटना में एक सादे समारोह में हुआ, जिसमें श्री साहू ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर विवाह की प्रक्रिया पूरी की।

श्री साहू वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की मेनिफेस्टो कमिटी के सदस्य हैं तथा ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ के आयोजन समिति में भी शामिल हैं। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “हमने सामाजिक सीमा की बाधा को न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से, बल्कि पूरे परिवार की सहमति से स्वीकार किया है। जातिवाद के इस दौर में ऐसा कदम समाज में परिवर्तन की ओर एक सशक्त पहल है।”

मंजीत साहू ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि “बाबा साहेब ने अपनी पुस्तक जाति का विनाश में अंतरजातीय विवाह को जाति उन्मूलन का प्रभावी माध्यम बताया है। यही विचार मेरे इस निर्णय के पीछे प्रेरणा रहा है।”

इस विवाह की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि जहां एक ओर समाज में दिखावे, दहेज और अनावश्यक खर्चों से भरी भव्य शादियां आम हो गई हैं, वहीं राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय एक युवा नेता द्वारा इस प्रकार की सादगीपूर्ण, विचारप्रधान शादी समाज में सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

श्री साहू ने कहा, “आज सामाजिक और राजनीतिक जीवन में विचार, शब्द और कर्म में सामंजस्य की कमी देखी जा रही है। मैंने अपने विचारों को निजी जीवन में अपनाने की कोशिश की है। समतामूलक समाज की स्थापना ही मेरा मूल उद्देश्य है।”

मंजीत आनन्द साहू और आकांक्षा चित्रांश की यह वैचारिक और सामाजिक दृष्टि से प्रेरणादायक शादी, समावेशी समाज निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम के रूप में देखी जा रही है।

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