अपना नालंदा संवाददाता
हरनौत ।पोषण अभियान जन आंदोलन के अंतर्गत चल रहे सातवें पोषण पखवाड़ा (8 अप्रैल से 22 अप्रैल) के तहत बुधवार को स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) में “उत्तम पोषण एवं पोषण वाटिका” विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) के सहयोग से किया गया, जिसका नेतृत्व केंद्र की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. सीमा कुमारी ने किया।
अपने संबोधन में डॉ. सीमा ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के समुचित पोषण से ही एक स्वस्थ और सक्षम समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने बताया कि संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, हरी सब्जियां और विभिन्न प्रकार के साग शामिल होने चाहिए, जिससे शरीर की कार्यक्षमता और मेटाबॉलिज्म सुचारू रूप से चलता है।
डॉ. सीमा ने यह भी बताया कि संतुलित आहार में आयरन, कैल्शियम, विटामिन A, B, C तथा फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं।
गृह विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डॉ. ज्योति सिन्हा ने कहा कि संतुलित आहार से महिलाएं और बच्चे एनीमिया जैसे रोगों से बच सकते हैं, जिससे उनका शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास बेहतर तरीके से होता है।
वहीं सीडीपीओ सीमा कुमारी ने कहा कि पोषण वाटिका का महत्व केवल हरी सब्जियों की खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मोटे अनाज को फिर से भोजन शैली में शामिल करना, बायोफॉर्टिफाइड किस्मों का प्रयोग, घरेलू पौष्टिक व्यंजन, भोजन में विविधता एवं न्यूट्रीडेंस आहार का चयन जैसे विषय भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर पोषण जागरूकता को व्यापक रूप से फैलाया जा सकता है।
यह प्रशिक्षण विशेष रूप से आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें 27 सेविकाओं के अलावा ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) के 5 छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में मृदा विभाग के वैज्ञानिक डॉ. यूएन उमेश, पशु एवं चिकित्सा विज्ञान के डॉ. विद्या शंकर सिन्हा, उद्यान विभाग की वैज्ञानिक कुमारी विभा रानी, प्लांट पैथोलॉजी विभाग की डॉ. आरती कुमारी, एलएस से रेनू, गीता, भारती, वेदु, तथा सेविका सिम्पी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।




