विजय प्रकाश उर्फ पिन्नु
नूरसराय(अपना नालंदा)।बरसात के मौसम में सब्जी-वर्गीय फसलों की नियमित देखभाल करना अत्यंत ही जरूरी होता है, क्योंकि इस समय अत्यधिक नमी के कारण कीट और बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है। यदि उचित सावधानियाँ न बरती जाएँ, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
नालंदा उद्यान महाविद्यालय, नूरसराय के वैज्ञानिकों
डा० रमेश कुमार शर्मा, डा० राम बाबू रमन, डा० विनोद कुमार, डा० सुनील कुमार यादव एवं डा० अंकेश कुमार चंचल नें किसानों के लिए महत्वपूर्ण जरूरी जानकारियां दी है।

कुछ मुख्य देखभाल के उपाय और आवश्यक सावधानियाँ दी गई हैं:
बरसात में सब्जी वर्गीय फसलों की देखभाल:
सिंचाई एवं जल निकासी व्यवस्था:
खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें ताकि पानी जमा न हो।
पानी के रुकने से जड़ गलन, फफूंद रोग और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं।
निराई-गुड़ाई (Weeding):
समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें ताकि खरपतवार न फैलें और फसल का पोषण बना रहे।
निराई से मिट्टी में हवा का संचार भी बना रहता है जिससे जड़ों का समुचित विकाश होता है।
बढ़ते पौधों को सहारा देना:
टमाटर, लौकी, करेला, भिंडी आदि को बांस या रस्सियों का सहारा दें, ताकि पौधे जमीन पर न गिरें और फल सड़ने न पाएं।
उर्वरक एवं पोषण:
जैविक खाद जैसे गोबर खाद, पत्तियों की खाद, वर्मीकम्पोस्ट आदि का उपयोग करें।
बरसात के बाद जब मिट्टी से पोषक तत्व बह जाते हैं, तब फसल को संतुलित पोषण देना अतिआवश्यक होता है।
फसल चक्र अपनाएं:
फसल चक्र से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और बीमारियों की पुनरावृत्ति कम होती है।
संभावित कीट एवं रोग नियंत्रण:
कीट नियंत्रण:
सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि से फसल की रक्षा करें।
नीम का तेल (Neem Oil) या जैविक कीटनाशक का ससमय छिड़काव करें।
ज़रूरत पड़ने पर वैज्ञानिक सलाह से रासायनिक कीटनाशक प्रयोग करें।
रोग नियंत्रण:
तना सड़न, पत्तियों पर धब्बे, झुलसा रोग आदि आम हैं।
रोगग्रस्त पौधों को खेत से बाहर निकालें और जलाएं।
ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक फफूंदनाशी का उपयोग करें।
जरूरी सावधानियाँ:
लगातार बारिश में खेत में काम न करें क्योंकि मिट्टी अधिक गीली होने से पौधों की जड़ें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
बीज बुवाई के पहले बीजोपचार अवश्य करें (थायरम, कार्बेन्डाजिम आदि से)।
खेत मे नालियों की समुचित व्यवस्था करें ताकि अत्यधिक पानी खेत से बाहर निकल सके।
बरसात के मौसम में ज्यादा नमी के कारण वायरस-जनित रोगों के फैलने का खतरा होता है, इसलिए नियमित निगरानी रखें।




